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Granthaalayah: Open Access Research Database
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Colour

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View Resource रंगों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव एवं रंग चिकित्सा

जीवन का समूचा ताना-बाना रंगों से बना है, चाहे हमारे वस्त्र हांे, घर हो, या गाड़ी हो। सबकी पहचान रंगों के साथ है। रंगों का मनुष्य के जीवन और मन पर विशिष्ट प्रभाव होता है। रंग प्रकृति की बहुमूल्य देन है और मानव के जीवन का सौंदर्य भी। उषाकाल की लालिमा, नीलाभ नभ, भूरे पहाड़, तिनकों, पौधों और पेड़ों की हरिताभा, फीरोज़ी समुद्र- सबकुछ विशिष्ट और अद्भुत। मनुष्य और प्रकृति का संबंध भी अटूट है। कभी बसंती पीला...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3570
View Resource चित्रकला में रंग (प्रागैतिहासिक काल से वर्तमान काल तक के परिपे्रक्ष्य में )

‘रंग’ शब्द के उच्चारण मात्र से ही हम पाते हैं कि हमारे आस-पास का वातावरण रंगीन हो गया है। यदि जीवन में रंग का समावेश नहीं होता तो मनुष्य जीवन उल्लास, अभिलाषा, रस एवं सौंदर्य से कोसों दूर होता और ऐसे प्राणहीन जीवन की कल्पनामात्र से भय उत्पन्न होने लगता है। चित्रकला में ‘रंग’ का महत्वपूर्ण योगदान है, रंग के अभाव में चित्रकला संपूर्ण नहीं हो सकती। उसमें एक अद्भूत सौंदर्य और आकर्षण होता है, जो दर्शक...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3571
View Resource मधुबनी लोक चित्रकला की विशेषताएॅं एवं रंगों का अदभुत संयोजन

मिथिलांचल की मधुबनी ल¨क चित्र्ाकला के माध्यम से ल¨कचित्र्ा परम्परा का निर्वाह आज भी किया जा रहा है। यहाँ की ल¨क कला श्©ली वंश परम्परा के आधार पर आज भी गतिशील है। मधुबनी ल¨क चित्र्ाकला की विदेश¨ं में काफी मांग है ल्¨किन वह अपने ही देश में उपेक्षित है। दुर्भाग्य की बात है कि जिनके हाथ में हुनर है, वे ग्रामीण कलाकार आमत©र पर गरीब हैं। देश के कला-जगत् की नजर इस पर नहीं गई, जबकि ‘‘जापान के हासेभावा ने...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3573
View Resource ‘‘चित्रकला में रंगों के माध्यम से भावनाओं का उन्नयन’’

चित्रकला में भावनाओं को सजग रखने में रंगो का विशेष महत्व होता है। रंग हमारे सुख-दुख उत्तेजना, भय, उल्लास आदि सभी भावनाओं के उद्वीपन में सहायक होते है। रंग मनुष्य के मनोभावों के रूपात्मक प्रस्तुतिकरण में सहायक होते है। रंग केवल चित्र की रंगत ही नही है, यह बसन्त के सौरभ को सूर्य के उत्ताप को, मेघों के गर्जन को और वर्षा से भीगी मिट्टी के सौधंे पन को भी व्यंजित करते है। रंग का तत्व जब समझ में आ जाता...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3574
View Resource वस्त्र अलंकरण में रंगों की पुरातन भूमिका

रंग वस्त्र आकल्पन (अलंकरण) का मूलाधार है। वस्त्र्ा के अनुरूप रंग द्रव्य¨ं ;कलमेद्ध का चयन और उनके प्रय¨ग की तकनीक, कलाकार अथवा रंगरेज के निजी दृष्टिक¨ण एवं उनके अनुभव पर आधारित ह¨ती है। रंग¨ं का, व्यक्ति की मन¨भावनाअ¨ं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इन्हीं पहलुअ¨ं का अध्ययन करके वस्त्र्ा¨ं के विविध प्रकार के अनुसार रंगद्रव्य का सफलतापूर्वक प्रय¨ग किया जाता है। वस्त्र्ा रंगाई की कला अतिप्राचीन है।...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3575
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