जीवन का समूचा ताना-बाना रंगों से बना है, चाहे हमारे वस्त्र हांे, घर हो, या गाड़ी हो। सबकी पहचान रंगों के साथ है। रंगों का मनुष्य के जीवन और मन पर विशिष्ट प्रभाव होता है। रंग प्रकृति की बहुमूल्य देन है और मानव के जीवन का सौंदर्य भी। उषाकाल की लालिमा, नीलाभ नभ, भूरे पहाड़, तिनकों, पौधों और पेड़ों की हरिताभा, फीरोज़ी समुद्र- सबकुछ विशिष्ट और अद्भुत। मनुष्य और प्रकृति का संबंध भी अटूट है। कभी बसंती पीला...
‘रंग’ शब्द के उच्चारण मात्र से ही हम पाते हैं कि हमारे आस-पास का वातावरण रंगीन हो गया है। यदि जीवन में रंग का समावेश नहीं होता तो मनुष्य जीवन उल्लास, अभिलाषा, रस एवं सौंदर्य से कोसों दूर होता और ऐसे प्राणहीन जीवन की कल्पनामात्र से भय उत्पन्न होने लगता है।
चित्रकला में ‘रंग’ का महत्वपूर्ण योगदान है, रंग के अभाव में चित्रकला संपूर्ण नहीं हो सकती। उसमें एक अद्भूत सौंदर्य और आकर्षण होता है, जो दर्शक...
चित्रकला में भावनाओं को सजग रखने में रंगो का विशेष महत्व होता है। रंग हमारे सुख-दुख उत्तेजना, भय, उल्लास आदि सभी भावनाओं के उद्वीपन में सहायक होते है। रंग मनुष्य के मनोभावों के रूपात्मक प्रस्तुतिकरण में सहायक होते है। रंग केवल चित्र की रंगत ही नही है, यह बसन्त के सौरभ को सूर्य के उत्ताप को, मेघों के गर्जन को और वर्षा से भीगी मिट्टी के सौधंे पन को भी व्यंजित करते है। रंग का तत्व जब समझ में आ जाता...
रंग वस्त्र आकल्पन (अलंकरण) का मूलाधार है। वस्त्र्ा के अनुरूप रंग द्रव्य¨ं ;कलमेद्ध का चयन और उनके प्रय¨ग की तकनीक, कलाकार अथवा रंगरेज के निजी दृष्टिक¨ण एवं उनके अनुभव पर आधारित ह¨ती है। रंग¨ं का, व्यक्ति की मन¨भावनाअ¨ं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इन्हीं पहलुअ¨ं का अध्ययन करके वस्त्र्ा¨ं के विविध प्रकार के अनुसार रंगद्रव्य का सफलतापूर्वक प्रय¨ग किया जाता है।
वस्त्र्ा रंगाई की कला अतिप्राचीन है।...