रंग वस्त्र आकल्पन (अलंकरण) का मूलाधार है। वस्त्र्ा के अनुरूप रंग द्रव्य¨ं ;कलमेद्ध का चयन और उनके प्रय¨ग की तकनीक, कलाकार अथवा रंगरेज के निजी दृष्टिक¨ण एवं उनके अनुभव पर आधारित ह¨ती है। रंग¨ं का, व्यक्ति की मन¨भावनाअ¨ं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इन्हीं पहलुअ¨ं का अध्ययन करके वस्त्र्ा¨ं के विविध प्रकार के अनुसार रंगद्रव्य का सफलतापूर्वक प्रय¨ग किया जाता है।
वस्त्र्ा रंगाई की कला अतिप्राचीन है। भारतवर्ष में कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं जिनमें वस्त्र्ा बुनाई एवं वस्त्र्ा-रंगाई के विषय में ईसा पूर्व एवं उत्तरार्ध में मनुष्य¨ं क¨ ज्ञान था।
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