चित्रकला में भावनाओं को सजग रखने में रंगो का विशेष महत्व होता है। रंग हमारे सुख-दुख उत्तेजना, भय, उल्लास आदि सभी भावनाओं के उद्वीपन में सहायक होते है। रंग मनुष्य के मनोभावों के रूपात्मक प्रस्तुतिकरण में सहायक होते है। रंग केवल चित्र की रंगत ही नही है, यह बसन्त के सौरभ को सूर्य के उत्ताप को, मेघों के गर्जन को और वर्षा से भीगी मिट्टी के सौधंे पन को भी व्यंजित करते है। रंग का तत्व जब समझ में आ जाता है तो काला रंग भी ज्ञान का आलोक भर देता है। इसलिये तो प्रागौतिहासिक मानव ने अपने मनोभावो को शिला पर उकेरने के लिए खनिज रंगो का प्रयोग किया जिसमें गेरू, रामरज, कोयला, खड़िया एवं हिरौजी, आदि प्रमुख रंग है। वास्तव में ये रंग प्रागौतिहासिक मानव के भावों के प्रदर्शन का मूलाधार थे।
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