मिथिलांचल की मधुबनी ल¨क चित्र्ाकला के माध्यम से ल¨कचित्र्ा परम्परा का निर्वाह आज भी किया जा रहा है। यहाँ की ल¨क कला श्©ली वंश परम्परा के आधार पर आज भी गतिशील है। मधुबनी ल¨क चित्र्ाकला की विदेश¨ं में काफी मांग है ल्¨किन वह अपने ही देश में उपेक्षित है। दुर्भाग्य की बात है कि जिनके हाथ में हुनर है, वे ग्रामीण कलाकार आमत©र पर गरीब हैं। देश के कला-जगत् की नजर इस पर नहीं गई, जबकि ‘‘जापान के हासेभावा ने राजधानी ट¨किय¨ से उत्तर-पश्चिम में स्थित निगाता में एक पहाड़ी पर मिथिला म्यूजियम की स्थापना की है। जापान के कला के मर्मज्ञ एवं कला पारखी ‘‘हासेगावा’’ पच्चीस से अधिक बार भारत आ चुके हैं। वे मधुबनी ल¨क चित्र्ाकला के कई सुप्रसिद्ध कलाकार¨ं के आवास पर भी गए अ©र मिथिला के कलाकार¨ं से मधुबनी ल¨क चित्र्ाकला के माध्यम व तकनीक एवं रंग¨ं के संय¨जन पर चर्चा की अ©र उनक¨ समझने के बाद मिथिला कलाकार¨ं क¨ अपने साथ जापान ल्¨ जाकर चित्र्ा रचना भी कराई। इसके अलावा अमेरिका, इंग्ल्©ण्ड, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, जर्मनी, मॉरीशस जाकर कई कलाकार¨ं ने इस ल¨क कला श्©ली से ल¨ग¨ं क¨ अवगत कराया अ©र देश का मान बढ़ाया है।
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