‘रंग’ शब्द के उच्चारण मात्र से ही हम पाते हैं कि हमारे आस-पास का वातावरण रंगीन हो गया है। यदि जीवन में रंग का समावेश नहीं होता तो मनुष्य जीवन उल्लास, अभिलाषा, रस एवं सौंदर्य से कोसों दूर होता और ऐसे प्राणहीन जीवन की कल्पनामात्र से भय उत्पन्न होने लगता है।
चित्रकला में ‘रंग’ का महत्वपूर्ण योगदान है, रंग के अभाव में चित्रकला संपूर्ण नहीं हो सकती। उसमें एक अद्भूत सौंदर्य और आकर्षण होता है, जो दर्शक एवं कलाकार को अपनी ओर स्वतः खींचता है। ‘‘रंगों के प्रभाव से हमारी भावनाओं का सीधा संबंध है। रंग से जीवन में गतिशीलता उत्पन्न हाती है। कलाकार का जीवन रंगों के ही साथ है, इसलिए यह आवश्यक है कि वह रंगों से पूर्णतः परिचित हो। आदिकाल से लेकर आज तक इस कला जगत में रंग वह तत्व है जिसे कलाकृति में आवरण के रूप में प्रयोग किया जाता है। रंग के अभाव में कलाकृति अधूरी रह जाती है। कला के इतिहास में रंगों का अपना विशिष्ट स्थान है रंग कलाकृति को जीवन प्रदान करते हैं।’’1
Cumulative Rating:
(not yet rated)
(no comments available yet for this resource)
Resource Comments