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Granthaalayah: Open Access Research Database
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Colour

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View Resource चित्रकला में रंगों का समन्वय एवं संयोजन (प्रागैतिहासिक काल एवं आधुनिक काल के संदर्भ में)

भारत के विभिन्न क्षेत्रों से उपलब्ध वस्त्रों, पाशाणचित्रों, मृत्तिका पात्रों, लाल-पीले रंगों में चित्रित रेंगते हुए कीड़ों, पशुओं, पक्षियों मनुष्यों आदि की आकृति का अध्ययन करके प्रागैतिहासिक भारत के कलाप्रेम का सहज ही मंें परिचय मिल जाता है। आज की भाँति आदि मानव भी सौन्दर्योपासक था। इसी सौन्दर्यप्रेम के कारण वह अपने अमूर्त भावों को मूर्त रुप देने की ओर प्रवृत्त हुआ। इसके प्रमाण हमें मोहनजोदड़ो तथा...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3576
View Resource जामिनी राय की कला में रंग योजना की भूमिका

जामिनी राय ने अपनी कला यात्रा के दौरान असंख्य चित्रों का निर्माण किया। इस निर्माण कार्य में शायद ही ऐसा कोई विषय हो जो जामिनी राय की तूलिका के माध्यम से प्रकट ना हो सका हो। कला के प्रति उनका समर्पण व उनकी निरन्तरता के कारण ही उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में चित्रों का निर्माण किया। जामिनी राय ने अपने ही चित्रों को कई बार दोहराया है, इसलिये यह कह पाना बड़ा कठिन है कि कौन सा चित्र पहले का है, कौन सा बाद...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3577
View Resource चित्रकला की भाषा: रंग,रेखा एवं रुप

मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के नाते सदैव इस प्रयत्न में रहा है कि वह अपनी अनुभुतीयों,भावनाओं तथा इच्छाओं को दूसरों से व्यक्त कर सके और दूसरों की अनुभुतीयों से लाभ उठा सके। इसके लिए उसे यह आवश्यकता पड़ी कि वह अपने को व्यक्त करने के साधनों तथा माध्यमों की खोज तथा निर्माण करे। इसी के फलस्वरुप भाषा की उत्पत्ति हुई और काव्य,संगीत,नृत्य, चित्रकला,र्मूिर्तकला इत्यादि कलाओं का प्रादुर्भाव हुआ। ये सभी हमारी...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3579
View Resource रंगों का मनोविज्ञान एवं रंग चिकित्सा

हमारी दृष्टि तन्त्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता रंग दृष्टि (ब्वसववत टपेपवद) है। रंग व्यक्ति की संवेदी अनुभूति का एक मनोवैज्ञानिक गुण (च्ेलबवसवहपबंस च्तवचवतजल) होता है, जिसकी उत्पत्ति तब होती है जब मस्तिष्क को बाह्या/वातावरण के बारे में सूचना प्राप्त होती है। विशेषज्ञों ने रंग की तीन मनोवैज्ञानिक विमाएंे (च्ेलबवसवहपबंस कपउमदेपवद) बताई हंै, यह तीनों आयाम रोशनी को तीन भौतिक गुणों अर्थात् तरंग दैध्र्य,...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3581
View Resource विज्ञापन के रंगों का समाज पर प्रभाव

वस्तुओं के धरातल में रंग होने के कारण ही वह हमें दिखाई देती है। धरातलों पर प्रकाश की मात्रा कम व अधिक होने से एक ही रंग की वस्तुएँ अलग-अलग दिखाई देती है। यह विविध रंग हमें सूर्य के द्वारा ही सब वस्तुओं को प्राप्त होता है। सूर्य की किरणों में सात प्रकार के रंग होते है। और उन्हीं के द्वारा ही आकश में इन्द्रधनुष बनता है। रंग एक शक्तिशाली मनोवैज्ञानिक औजार है। हर रंग अलग-अलग प्रभाव छोड़ता है। रंगों का...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3583
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