मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के नाते सदैव इस प्रयत्न में रहा है कि वह अपनी अनुभुतीयों,भावनाओं तथा इच्छाओं को दूसरों से व्यक्त कर सके और दूसरों की अनुभुतीयों से लाभ उठा सके। इसके लिए उसे यह आवश्यकता पड़ी कि वह अपने को व्यक्त करने के साधनों तथा माध्यमों की खोज तथा निर्माण करे। इसी के फलस्वरुप भाषा की उत्पत्ति हुई और काव्य,संगीत,नृत्य, चित्रकला,र्मूिर्तकला इत्यादि कलाओं का प्रादुर्भाव हुआ। ये सभी हमारी भावनाओं को व्यक्त करने के माध्यम है। कोई अपनी भावनाओं को भाषा द्वारा व्यक्त करता है, कोई चित्रकला द्वारा तथा कोई नृत्य द्वारा। लक्ष्य तथा आदर्श सब का एक ही है, केवल माध्यम भिन्न - भिन्न है। इन्ही माध्यमों को हम कला की भाषा कहते है
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