जामिनी राय ने अपनी कला यात्रा के दौरान असंख्य चित्रों का निर्माण किया। इस निर्माण कार्य में शायद ही ऐसा कोई विषय हो जो जामिनी राय की तूलिका के माध्यम से प्रकट ना हो सका हो। कला के प्रति उनका समर्पण व उनकी निरन्तरता के कारण ही उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में चित्रों का निर्माण किया। जामिनी राय ने अपने ही चित्रों को कई बार दोहराया है, इसलिये यह कह पाना बड़ा कठिन है कि कौन सा चित्र पहले का है, कौन सा बाद का, सिर्फ शैली को देखकर ही निर्माण काल का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जामिनी राय ने अपने चित्रों में कभी भी तिथि का उल्लेख नही किया है, इस कारण यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। जामिनी राय ने एक ही विषय पर कई चित्रों को बनाया है जिनमें उन्होंने बाद में कुछ ना कुछ परिवर्तन करते हुए पुनः निर्माण किया। इस प्रकार उन्होंने अपनी कला यात्रा के दौरान अलग-अलग विषयों पर आधारित अनेक खूबसूरत चित्रों का निर्माण किया जिसमें भारतीय मिट्टी की सौंधी महक है। जामिनी राय ने अपनी कलायात्रा के आरम्भ में चित्रों के निर्माण कैनवास व तैल रंगों का प्रयोग किया और बहुत लम्बे समय तक इस विधा से ही कार्य करते रहे। धीरे-धीरे समय के साथ जब जामिनी राय ने अपनी कला यात्रा केा एक नई दिशा दी तब उनके जीवन में कई परिवर्तन आ गए। उन्होंने सदैव अपनी कला में नवीनता लाने के लिए नित नए कला प्रयोगों को जारी रखा। जामिनी राय स्वेच्छा से आवश्यकता के अनुसार अपनी कला में परिवर्तन किया करते थे।
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