आदिमकाल से लेकरवर्तमानआधुनिक युगतकमनुष्य ने उन्नति व प्रगतिव के अनेकसोपान तय किए है।मनुष्य ने बुद्धि के विकास के साथ-साथप्रगति की है।मानव ने प्रकृतिप्रदत्तसाधनोंकादोहनकरअपनाविकासकियाहै, किन्तुविकास की इसअन्धीदौड़ मेंमनुष्य ने प्रकृतिप्रदत्तसंसाधनोंकाअविवेकपुर्णदोहन ने प्रकृति व पर्यावरणकोअत्यंत क्षतिपहुचाॅईहै।मनुष्य की निरन्तर बढ़तीआवश्यकताओं ने पर्यावरणको क्षतिपहुचाईहै,...
एक अरब से ज्यादा जन सैलाब के साथ भारतीय पर्यावरण को सुरक्षित रखना एक कठिन कार्य है वह भी जबकि हर व्यक्ति की आवश्यकताएॅं, साधन, शिक्षा एवं जागरूकता के स्तर में असमान्य अंतर परिलक्षित होता है। संतुलित पर्यावरण के बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना करना मात्र एक कल्पना ही है। पर्यावरण से खिलवाड़ के परिणाम हम कई रूप में वर्तमान में देख रहे हैं एवं भोग रहे हैं।
पर्यावरण विज्ञान आज के समय के अनुसार एक अनिवार्य...
मानवस्वास्थ्य एक पूर्ण शारीरिक, मानसिकऔरसामाजिक खुषहाली की स्थितिहै।अच्छेस्वास्थ्य में शारीरिकस्वास्थ्य, मानसिकस्वास्थ्य, बौद्धिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिकस्वास्थ्य औरसामाजिकस्वास्थ्य भी शामिलहै। एक व्यक्तिकोस्वस्थतबकहांजाताहैजबउसका शरीरस्वस्थऔरमनसाफऔर शांतहो।
प्रदूषण एक प्रकारकाजहरहैजोवायु, जल, धूलआदि के माध्यम से न केवलमनुष्य के शरीरमेंप्रवेषकरउसे रूग्णबनादेताहैवरन् जीवजन्तुओं, पशुपक्षियों,...
भारत देश में वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण एक विकट समस्या हैं। जिसके सुधार में गृह वाटिका का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता हैं। घनी वस्तियों तथा औद्योगिक क्षेत्रों में भी गृहवाटिका की विश्ेाष भूमिका हैं। यदि घर के सामने पेड पौधे लगे हों तो घर के अंदर धूलमिट्टी नहीं आती तथा स्वच्छ हवा का आवागमन बना रहता है। इसमें घर की रसोई से निकलने वाले व्यर्थ पदार्थो का उपयोग खाद के रूप में किया जा सकता है। यह एक...
पर्यावरण अर्थात हमारे चारो ओर का वातावरण जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारी जीवनषैली को प्रभावित करता है। सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक रूप में वनो की संरचना प्रबंध तथा उनके उत्पादो का उचित उपयोग वानिकी कहलाता है। कार्यदृष्टि के क्षेत्र अनुसार वानिकी के अनेक प्रकार है जैसे कृषि वानिकी, उद्यान वानिकी, ग्रामीण वानिकी, नगरीय वानिकी , सामाजिक वानिकी। सामाजिक सेवा के उद्देष्य से किया गया वनीकरण...