आदिमकाल से लेकरवर्तमानआधुनिक युगतकमनुष्य ने उन्नति व प्रगतिव के अनेकसोपान तय किए है।मनुष्य ने बुद्धि के विकास के साथ-साथप्रगति की है।मानव ने प्रकृतिप्रदत्तसाधनोंकादोहनकरअपनाविकासकियाहै, किन्तुविकास की इसअन्धीदौड़ मेंमनुष्य ने प्रकृतिप्रदत्तसंसाधनोंकाअविवेकपुर्णदोहन ने प्रकृति व पर्यावरणकोअत्यंत क्षतिपहुचाॅईहै।मनुष्य की निरन्तर बढ़तीआवश्यकताओं ने पर्यावरणको क्षतिपहुचाईहै, जिसमेेंप्राकृतिकअसुतंलनकोजन्मदिया।इसअसंतुलन ने मानव के समक्ष गंभीरसंकटउत्पन्नकरदिए है
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