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Granthaalayah: Open Access Research Database
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View Resource “भारत में ग्राफिक्स कला में रंगों का उपयोग”

भारत में अत्यधिक मात्रा में छापाचित्रों का निर्माण किया गया और अनेकों कलाकारों जिनमें विलियम और डेनियल ने छापा कला की भारत में संभावनाओं को टटोला और दोनों कलाकारों ने 1786-88 के मध्य ‘ कलकत्ता के बारह दृश्य’ नामक मूल अम्लांकन रंगीन छापाचित्रों का निर्माण किया जिनमें चित्रों को एक रंग में छापा गया और उनको रंगीन स्याही से रंगदार बनाया गया। ;9द्ध छापाकला की इस गतिविधि के बाद देश में अनेकों जगह रंगीन...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3589
View Resource रंगो का सामाजिक परिप्रेक्ष्य

रंग आनंद एवं उत्साह का प्रतीक है। रंगों का मानव मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव पड़ता है। रंग किसी भी वस्तु में आकर्षकता एवं वोधगम्यता उत्पन्न करते है। रंग की प्राप्ति का स्त्रोत प्रकाश है। विभिन्न रंगो की पहचान इसीलिए संभव होती है क्योंकि वस्तुएं प्रकाश को परावर्तित यो अभिशोषित करती है। प्रकाश आंखो में प्रवेश करता है। हमारी दृष्टि संवेदना पर क्रिया करता है। इसके कारण प्रकाश की संवेदना उत्पन्न होती है और...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3590
View Resource ‘‘रंगों की अभिव्यक्ति वाराणसी के भित्ति चित्रों में’’

रंग चित्र की आत्मा है, रंगों के प्रति मनुष्य आसक्ति आदिम समय से ही रहा है। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में रंगों का प्रचलन बहुत पुराना है रंग हमारे जीवन के साथी, ये हमारे सुखों को इंगित करते हैं। सामाजिक उत्सवांे-पर्वों पर इनकी छठा चारों ओर बिखरी होती है। शुभ कार्य हो या अतिथि आगमन पर प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाई जाती है रंग हमारे जीवन में खुशी एवं ऊर्जा भर देते हैं भारतीय आध्यात्म भी विभिन्न रंगों...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3591
View Resource चित्रकला में रंग - प्रागैतिहासिक काल मध्यप्रदेश के विशेष संदर्भ में

चित्रकला को अभिव्यक्तिगत सार्मथ्य प्रदान करने वाले तत्वों में रंग प्रमुख है। चित्रकला में रंग की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। चित्रकार जिस आधारभूत सतह पर चित्रांकन करता है उसमें रंग उसकी पर्याप्त सहायता करते हैं इन्हीं के आधार पर कलाकृति मानसिक सन्तुष्टि प्रदान करती है। रंग का आधार पाकर बनाई गई रचना अपने अभिष्ट को पाने में समर्थ होती है। रंग के माध्यम से चित्रकार अपनी कृति को कोमल बनाता है।...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3592
View Resource रंगों का मनौवैज्ञानिक प्रभाव एवं रंग चिकित्सा

सृष्टि की प्रत्येक वस्तु में रंग है। मानव जीवन से रंग का नैसर्गिक सम्बन्ध है। जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव जीवन रंगों के मध्य ही दृष्टिगोचर होता है। प्रकृति की प्रत्येक रचना चाहे वह सूर्य हो धरणी हो, आकाश हो या वृक्ष हो कोई न कोई रंग लिये हुये हैं। वस्तुओं के धरातल में रंग होने के कारण ही वह हमें दिखाई देती है। रंग के अनुभव का माध्यम प्रकाश है, जो वस्तु से प्रतिबिम्बित होकर हमारे अक्षपटल तक...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3593
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