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Granthaalayah: Open Access Research Database
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View Resource चित्रकला की भाषा: रंग,रेखा एवं रुप

मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के नाते सदैव इस प्रयत्न में रहा है कि वह अपनी अनुभुतीयों,भावनाओं तथा इच्छाओं को दूसरों से व्यक्त कर सके और दूसरों की अनुभुतीयों से लाभ उठा सके। इसके लिए उसे यह आवश्यकता पड़ी कि वह अपने को व्यक्त करने के साधनों तथा माध्यमों की खोज तथा निर्माण करे। इसी के फलस्वरुप भाषा की उत्पत्ति हुई और काव्य,संगीत,नृत्य, चित्रकला,र्मूिर्तकला इत्यादि कलाओं का प्रादुर्भाव हुआ। ये सभी हमारी...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3579
View Resource रंगों का मनोविज्ञान एवं रंग चिकित्सा

हमारी दृष्टि तन्त्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता रंग दृष्टि (ब्वसववत टपेपवद) है। रंग व्यक्ति की संवेदी अनुभूति का एक मनोवैज्ञानिक गुण (च्ेलबवसवहपबंस च्तवचवतजल) होता है, जिसकी उत्पत्ति तब होती है जब मस्तिष्क को बाह्या/वातावरण के बारे में सूचना प्राप्त होती है। विशेषज्ञों ने रंग की तीन मनोवैज्ञानिक विमाएंे (च्ेलबवसवहपबंस कपउमदेपवद) बताई हंै, यह तीनों आयाम रोशनी को तीन भौतिक गुणों अर्थात् तरंग दैध्र्य,...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3581
View Resource विज्ञापन के रंगों का समाज पर प्रभाव

वस्तुओं के धरातल में रंग होने के कारण ही वह हमें दिखाई देती है। धरातलों पर प्रकाश की मात्रा कम व अधिक होने से एक ही रंग की वस्तुएँ अलग-अलग दिखाई देती है। यह विविध रंग हमें सूर्य के द्वारा ही सब वस्तुओं को प्राप्त होता है। सूर्य की किरणों में सात प्रकार के रंग होते है। और उन्हीं के द्वारा ही आकश में इन्द्रधनुष बनता है। रंग एक शक्तिशाली मनोवैज्ञानिक औजार है। हर रंग अलग-अलग प्रभाव छोड़ता है। रंगों का...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3583
View Resource चित्रकार-साजन कुरियन मैथ्यू के चित्रों का रंग संयोजन

इस व्रम्हंाण में हम अपनी आॅखों से जो भी देखते है। उनमें सबसे पहले रंग का प्रभाव पड़ता है। सृष्टी में अनेक प्रकार के रंग पाये जाते है, जिनमें से अधिकांष रंग ऐसे होते है। जिन्हें आम आदमी आसानी से पहचान सकता है जैसे लाल, पीला, नीला, हरा, बैंगनी, काला, लेकिन इनके अलावा कुछ रंग ऐसे पाये जाते है। जिन्हें आम आदमी आसानी से नहीं पहचान सकता, जिन रंगों को आसानी से नही पहचाना जा सकता है। उन रंगों को आम आदमी...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3584
View Resource भारतीय चित्रकला में रंगों का योगदान (अब्दुर्रहमान चुगताई के विषेष संदर्भ में)

मानव जीवन में वर्ण का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक वस्तु कोई न कोई रंग लिये हुए है। रंगों के प्रति मानव का आकर्षण कभी घटा नही है। इसीलिये आदि मानव से लेकर आधुनिक मानव तक ने सौन्दर्य के विकास में वर्ण का सहारा लिया है। कमरे की रंग व्यवस्था से लेकर बाग बगीचों में फूल पौधों की रंगयोजना तक में कलाकार ने अपना हस्तक्षेप किया है क्योंकि रंगों का अपना एक प्रभाव होता है जो मानव की मानसिक भावनाओं को...

https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3SE.2014.3585
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