सुर व संगीत के बिना सामान्य कलाकारों के लिए नृत्य करना मुश्किल कार्य है लेकिन मूक-बधिर कलाकारों के लिए यह उतना ही सहज हैं। मूक-बधिर कलाकारों के लिए सुर व संगीत का कोई प्रयोजन नहीं है। यह कलाकार संगीत की किसी तान पर नहीं थिरकते अपितु यह अपने कोरियोग्राफर के ईशारों पर थिरकते है।इनकी नृत्य विधा डान्स विदआऊट म्यूजिक की धारणा पर आधारित होती हैं।मूक-बधिरांे की सांकेतिक भाषा का अच्छा ज्ञान रखने वाला केारियोग्राफर इन्हे नृत्य में पारंगत बना सकता है।
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