व्यक्ति की अभिव्यक्ति बचपन से लेकर जवानी फिर अधेड़ अवस्था तक के सफर में, विभिन्न रूप लेती है। इस यात्रा में बहुत सारे तत्व अपने विकास के दौरान घुसपैठ करते हैं और यह एक तरह का आभार है। जो सिर्फ मनुष्य के जीवन में ही नहीं घटता बल्कि कलाकार की अभिव्यक्ति में भी लक्षित होता है। जहां हर व्यक्ति अपनी विचार धाराओं के अनुरूप खुद को खोजता, व्यक्त करता है। खुद के मापदण्डों के अनुसार अपनी मूल्य दृष्टि विकसित करता हैै। परन्तु इस अवस्था तक पहुचने के लिये , व्यक्ति को लगातार अतिष्य का त्याग और हर रूप में मौजूदा वक्त में जीना होता है। एक चित्रकार के लिये कैनवास के तात्विक संयोजन पर खुद को केन्द्रित करना सबसे जरूरी है, यह रास्ता उसे ले जाएगा, जहां बारीकियों से परे वो पूर्णता का स्वत्व निकालकर सफेद कैनवास पर रख देता है।प
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