प्राचीन काल से ही रेखाओं का सौन्दर्य चित्रकला में विराजमान है। रेखा दृश्य व संप्रेेषण का एकमात्र साधन है। रेखाएं प्रतिकात्मक होती है। जो कलाकार के मन की स्थिति से दर्शकों को परिचित कराती है। व चित्रकला में रेखा व्यक्ति के अहसासों को व्यक्त करने का प्राथमिक माध्यम हंै । प्रागैतिहासिक काल से यह पद्व़ति चली आ रही है। कि कलाकार अपने मन की स्थिति को शांत करने के लिए रेखाओ के माध्यम से चित्रण कार्यो को पूर्ण करता था। व अपने भावों की अभिव्यक्ति रेखाओं कें माध्यम सें शिलाओं पर करता था। परंतु आज कला जगत में कलाकार स्वतंत्र है। वह मिश्रित माध्यमों के द्वारा भी अपनी कलाकृतियों का सजृन करता है।
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