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वानगो के चित्रण का भावनात्मक स्वरूप

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समाज में जब किसी भी सम्वेदनषील कलाकार की सम्वेदनाएं बिखरतीं हैं तब उसके अन्तस में अनेक बिम्ब समाहित हो जातें हैं और जब कलाकार अतिसम्वेदनषील हो तो वो समाज के हर पक्ष में करूणा के भाव को ही अनुभव करता है। भावनाओं के चितेरे वानगो की नियति ही दुःख और पीड़ा थी। इसीलिए वे जीवनभर जगत से करुणा बटोरते रहे और चित्रण के माध्यम से उसे बिखेरते रहे, एक तीव्र छन्दानुभूति से बोझिल उदास मन से वे इसकी अभिव्यक्ति के लिए प्रकृति और जीवन से कथ्य तलाशते रहे। बोरिनाज़ से लेकर आल्र्स तक की कला यात्रा इसी सत्य की खोज थी। इसी सत्य को उन्होंने जहाँ भी अनुभव किया उसे सुन्दर और शिव रूप में अभिव्यक्त कर दिया। इनकी सम्पूर्ण चित्रकला का स्वरूप, धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना पर टिका है। इसीलिए नितान्त मानवतावादी धरातल पर जो भी कुछ इन्होेने रचा, वह इनके सौन्दर्यबोध की चरम ऊंचाईयां थीं। वानगो का भाव जगत् प्रकृति के सामन विराट था और उसकी अभिव्यक्ति के लिए इनके पास कवि संवेदना का अक्षुण भण्डार भी था। गहन अनुभूतियों की अभिव्यक्ति के लिए चित्रकला इन्हें एक सिद्ध के रूप में मिली थीं।
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Creator
Publisher
Classification
Date Issued 2020-06-27
Resource Type
Format
Language
Date Of Record Creation 2021-03-19 08:04:51
Date Of Record Release 2021-03-19 08:04:51
Date Last Modified 2021-03-20 02:53:37

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