‘‘राजस्थान की किशनगढ़ श्©ली के चित्र्ा प्रकृति क¨ संरक्षित करके पर्यावरण जागरुकता क¨ आज के परिवेश में प्रदर्शित करते हैं। चित्र्ा¨ं में वनस्पति, जल, वायु तीन¨ं पर्यावरणीय घटक प्रचुर मात्र्ाा में चित्र्ाित हैं। पर्यावरण में प्रकृति चित्र्ाण के साथ अध्यात्म दर्शन की सांस्कृतिक परम्परा क¨ ज¨ड़ा गया है। हरियालीमय सुरम्य वातावरण चित्र्ा¨ं मंे प्रकृति चित्र्ाण की सांस्कृतिक थाती पर्यावरण प्रदूषित ह¨ने से बचाने का सन्देश जन-जन तक पहुँचाती प्रतीत ह¨ती है, ज¨ एक सकारात्मक प्रयास है।
पर्यावरण का तात्पर्य समस्त ब्रह्माण्ड के नैतिक एवं जैविक व्यवस्था से है, जिसके अंतर्गत समस्त जीवधारी ह¨ते हैं। पर्यावरण में जीवधारी रहते हैं, बढ़ते हैं अ©र पनपते हैं; अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तिय¨ं क¨ विकसित करते हैं। मनुष्य पर्यावरण का ही एक भाग है, उससे पृथक उसका क¨ई भी अस्तित्व नहीं है। वायु, जल, भूमि, वनस्पति, पेड़-प©ध्¨, पशु, मानव सब मिलाकर पर्यावरण बनाते हैं। ‘‘प्रकृति मंे हमें ज¨ कुछ दिखाई देता है- वायु, जल, मिट्टी, वनस्पति तथा प्राणी सभी सम्मिलित रूप से पर्यावरण की रचना करते हैं। अतः पारिस्थितिकी पर्यावरण अध्ययन का एक विज्ञान है।1आधुनिक काल में जब से हमने आध्यात्मिक मान्यताअ¨ं का त्याग किया है तथा विज्ञान अ©र प्र©द्य¨गिकी क¨ ही मानव प्रगति का कारण मान लिया अ©र प्राकृतिक संसाधन¨ं का भरपूर द¨हन करना प्रारंभ किया तभी हमारा पर्यावरण जीवन के लिए संकट पूर्ण ह¨ गया है।2 विकास से विनाश का यह मंजर केवल प्रकृति के अत्यधिक द¨हन के कारण हुआ है।
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