‘‘स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मन का निवास होता है।’’ उत्तम स्वास्थ्य प्रत्येक मनुष्य के लिए अमूल्य निधि है, दीर्घ आयु एवं उत्तम स्वास्थ्य का अटूट बंधन है। इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दी गई परिभाषा सर्वमान्य है -’’ स्वास्थ्य संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक निरोगता की अवस्था हैं तथा मात्र बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति को स्वास्थ्य नही माना जा सकता है।’’ अर्थात स्वास्थ्य एक सामान्य व्यक्ति के लिए स्वस्थ्य वातावरण में, स्वस्थ्य परिवार में, स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य दिमाग का वास है।
प्राकृतिक वातावरण की संुदरता पेड़ - पौधे, जीव - जंतुओ, नदी - तालाब, पर्वत - सागरों से बनती बिगड़ती हैं। पर्यावरण और मनुष्य का अटूट बंधन है। प्रदूषण की समस्या विश्वव्यापी हैं इस विकराल एवं भयावह समस्या ने जन जीवन को संकट में डाल दिया है स्थानीय संगठनों व व्यक्तियों से लेकर संयुक्त राष्ट्रसंध यू.एन.ओ. तक इस समस्या से चितिंत है।
यह समस्या मुख्य रूप से विज्ञान की देन है। आज स्थिति इतनी विकराल है कि मनुष्य शुध्द हवा के लिए तरसता है, उसका जीना दूभर हो रहा है, तथा प्राकृतिक ऋतुु चक्र में भी परिवर्तन हो गया है, जिसका मानव स्वास्थ्य पर बुरो प्रभाव देखा जा रहा है और वह कोई न कोई बीमारी से अवश्य ही ग्रसित पाया जाता है।
Cumulative Rating:
(not yet rated)
(no comments available yet for this resource)
Resource Comments