पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य का अत्यंत घनिष्ठ सम्बन्ध है। आज औद्योगीकरण के दौर में पर्यावरण ही दूषित है तो स्वच्छ भोजन पानी एवं वायु की कल्पना कैसे ही जा सकती है। इसके फलस्वरूप मनुष्य में अनेक रोगों का जन्म होता है। पर्यावरण के मुख्य तत्व भूमि, जल,वायु, वनस्पति एवं प्राणी समूह है।
जल एवं स्वास्थ्य: कल कारखानों का दूषित जल नदी नालों में मिलकर अत्यधिक जल प्रदूषित करता है। प्रदूषित जल पीने से त्वचा रोग, पोलियो, पीलिया, टाईफाईड, बुखार, पेचिस, अतिसार, कृमि लेप्टोस्पाईस, कंेसर, दंतक्षय, फ्लूओरोसिस, गर्भपात, मंद विकास जैसी बीमारियों को जन्म देते हैं। पेयजल में क्लोराइड की अधिक मात्रा के सेवन से व्यक्ति के दाँतों में काले धब्बे पड़ जाते है’ रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों की हड्डी जकड़ जाती है। भारत में प्रदूषित जल में स्नान करने से त्वचा रोगियों की संख्या बढ़ रही है।
वायु प्रदूषण:हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से वायु प्रदूषण होता है। कल कारखानों और मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएँ के कारण साँस लेने में कठिनाई होती है। वायु में यदि हाइड्रोकार्बन की मात्रा बढ़ती है तो दृष्ट शक्ति में कमी, सल्फरडाई आक्साइड की मात्रा बढ़ती है तो दमा जैसे रोग, कार्बनमोनो आक्साइड प्रदूषक से रक्त में आॅक्सीजन की कमी के कारण केन्द्रीय स्नायुतंत्र प्रभावित होता है। इस प्रकार वायु प्रदूषण असाध्य रोगों को जन्म देते है। खाँसी, त्वचारोग, जननिक विकृति का उत्पन्न होना जीन परिवर्तन, आनुवांषिकीय खतरे बढ़े है।
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