सामान्य शब्दों में जैव विविधता से तात्पर्य सजीवों (वनस्पति और प्राणी) में पाए जाने वाले जातीय भेद से है। व्हेल मछली से लेकर सूक्ष्मदर्षी जीवाणु तक मनुष्य से लेकर फफंूद तक जैव विविधता का विस्तार पाया जाता है। पर्यावरणीय ह्रास के कारण जैव विविधता का क्षय हुआ है। मानव के अनियंत्रित क्रियाकलापों, बिजली, लालच और राजनीतिक कारणांे से जैव विविधता का विनाष बहुत तेजी से हो रहा है। लगातार बढ़ती जनसंख्याा, नगरीय क्षेत्रों की वृद्धि बाॅधों, भवनों तथा सड़कांे का निर्माण, कृषि के लिए वनों का कटाव, खदानों की खुदाई आदि ऐसे कुछ उदाहरण है जिनसे प्राकृतिक संसाधनों में कमी आई है।
जैव विविधता एक ऐसा संसाधन है जिसे फिर से नहीं बनाया जा सकता है। आज ऐसा कोई कारगर तरीका नहीं है जिससे लुप्त हुए पौधों और जन्तुओं को फिर से उत्पन्न किया जा सके।
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