Granthaalayah

ANALYSIS OF AGRICULTURAL LAND USE AND EVALUATION OF IMPACT ON ECONOMIC DEVELOPMENT IN BIJNOR DISTRICT

बिजनौर जनपद में कृषि फसल वितरण का सामाजिक विकास पर प्रभाव एवं नियोजन की आवश्यकता

 

Dr. Rashmi Sharma Rawal *1Envelope, Naresh Kumar

1 Associate Professor, RSMPG College, Dhampur, Bijnor, India

2 Geography Department, RSMPG College, Dhampur, Bijnor, India

 

DOI: https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v8.i6.2020.440

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Article Type: Research Article

 

Article Citation: Dr. Rashmi Sharma Rawal, and Naresh Kumar. (2020). ANALYSIS OF AGRICULTURAL LAND USE AND EVALUATION OF IMPACT ON ECONOMIC DEVELOPMENT IN BIJNOR DISTRICT. International Journal of Research -GRANTHAALAYAH, 8(6), 121 – 125. https://doi.org/10.29121/granthaalayah.v8.i6.2020.440

 

Received Date: 05 May 2020

 

Accepted Date: 22 June 2020

 

Keywords:

Agricultural Land

Evaluation

Economic Development

Bijnor District
ABSTRACT

English: From the beginning of human life, in the gradual development of its culture, various types of enterprises, businesses, economic activities and social development and its basic needs are obtained from the land. The study of the effects on human behavior and human functioning, the distance of the market from agricultural areas, market prices and agricultural production, demand of agricultural areas as well as the capacity of production, land production, density of cropland etc. were the questions that were studied Studies the impacts on agricultural land from a human social point of view. Agriculture is the most important aspect of the rural economy. Agriculture is the backbone of the sustenance and social development of all living communities. Along with the special production method and social ecologies of the area, the agricultural system and farming community, land ownership, availability of resources, size of holdings, agricultural land use along with social change of human environment has also seen changes in the agricultural state. Researchers by evaluating the effects of agricultural land use on social development in their area of ​​study Bijnor district to maintain the quality of land under environmental balance through scientific techniques and green agricultural development for various long term agricultural needs. There is a need and the plains formed from the fertile land by the rivers Ramganga and Kho are important for agricultural land use and crop production..

 

Hindi: मानव आदिकाल से ही अपनी संस्कृति के क्रमिक विकास में विभिन्न प्रकार के उद्यम, व्यवसायों, आर्थिक क्रियाकलाप एवं सामाजिक विकास तथा अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि से प्राप्त करता है। मानव व्यवहार एवं मानवीय कार्य प्रणाली पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन कृषि क्षेत्रों से बाजार की दूरी ,बाजार का भाव एवं कृषि उत्पादन, कृषि क्षेत्रों की मॉंग के साथ-साथ उत्पादन क्षमता भूमि उत्पादन की क्षमता फसल भूमि की सघनता आदि ऐसे प्रश्न रहे जिनका अध्ययन मानव सामाजिक दृष्टि कोण से कृषि भूमि पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करता है। कृषि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है। कृषि समस्त जीव समुदाय का भरण-पोषण एवं सामाजिक विकास की रीढ़ होती है। फसलोत्पादन क्षेत्र विशेष उत्पादन विधि तथा वहाँ की सामाजिक पारिस्थितियों से कृषि व्यवस्था एवं कृषक समुदाय , भूमि स्वामित्व, संसाधनों की उपलब्धता, जोत का आकार, कृषि भूमि उपयोग को मानवीय वातावरण के सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ कृषि प्रदेश मे भी परिवर्तन देखा गया है। शोधार्थी अपने अध्ययन क्षेत्र बिजनौर जनपद में कृषि भूमि उपयोग का सामाजिक विकास पर प्रभावों का मूल्यांकन करके उसके भावी नियोजन की आवश्यकताओं को दीर्घकालीन विभिन्न कृषि भूमि उपयोग के वैज्ञानिक तकनीक एवं हरित कृषि विकास के माध्यम से वातावरण सन्तुलन के अन्तर्गत भूमि की गुणवत्ता को बनाये रखने की आवश्यकता है तथा रामगंगा और खो नदियों के द्वारा उपजाऊ भूमि से निर्मित मैदान कृषि भूमि उपयोग एवं फसल उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण है।



 

 

1.     प्रस्तावना

 

1.1. अध्ययन क्षेत्र का भौगोलिक अध्ययन

 

          प्रस्तुत शोध अध्ययन क्षेत्र बिजनौर जनपद उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। अध्ययन क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति 290 1‘ उत्तरी अक्षांश से 290 47‘ उत्तरी अक्षांश तथा 700 0‘ पूर्वी देशान्तर से 780 57‘ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। गंगा नदी इसकी पश्चिमी सीमा निर्धारण करती है। जनपद की उत्तरी सीमा हिमालय की शिवालिक श्रेणियों की सीमा बनती है। जनपद के उत्तरी में हरिद्वार उ0 पू0 उद्यम सिंहनगर, दक्षिण में मुरादाबाद, पश्चिम में मेरठ, मुजफ्फरनगर जनपद स्थित है। जनपद का भौगोलिक क्षेत्रफल 4561 वर्ग किमी0 है जो उत्तर प्रदेश राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 1.91 प्रतिशत हैं। बिजनौर जनपद का कुल क्षेत्रफल का 96.52 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र है तथा 3.48 प्रतिशत नगरीय क्षेत्र है।जनपद की समुद्र तल से औसत ऊॅचाई 232 मीटर है तथा इसका सामान्य ढाल उत्तर से दक्षिण की ओर है। बिजनौर जनपद प्रशासनिक रूप से पाँच तहसीलों नजीबाबाद, नगीना, बिजनौर, धामपुर और चान्दपुर में विभक्त किया गया है। यहाँ कुल 11 विकास खण्ड, 130 न्याय पंचायतें, 959 ग्राम पंचायतें, 2152 आबाद ग्राम, 897 गैर आबाद ग्राम, 6 वन ग्राम, 20 नगर समूह, 12 नगर पालिका परिषद एवं 6 नगर पंचायतें है। जनपद की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना  के अनुसार 3682910 है। जिसमें पुरूष जनसंख्या 1921327 तथा महिलाओं की जनसंख्या 1761583 है। जनपद का जनघनत्व 807 व्यक्ति वर्ग किमी0 है। साक्षरता 68.56 प्रतिशत है । लिंगानुपात 1000/923 हैं। गंगा, रामगंगा बान, करूला, गांगन, मालनी  छोइया नदियों के द्वारा उर्बर एवं उपजाऊ मैदान निर्मित है। कृषि भूमि उपयोग के प्रमुख फसलें गेहूँ, चावल, गन्ना ,तिलहन एवं सब्जियाँ प्रमुख है। इस प्रकार अध्ययन क्षेत्र में कृषि भूमि उपयोग का 85 प्रतिशत भाग सिंचित है। यातायात साधनों के द्वारा व्यापार उद्योग कारखानों एवं महानगरों से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण जनपद है।

 

बिजनौर जनपद का विकासखण्डवार मानचित्र

 

बिजनौर जनपद में क्रियात्मक जोतों का आकार वर्गान्तर ( विकासखण्डवार) 2017-18

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स्रोत

1)     अधि0 अधि0 सिंचाई खण्ड बिजनौर।

2)     अधि0 अभि0 नलकूप खण्ड बिजनौर।

3)     सहा0 अभि0 राजकीय लघु0 सिंचाई बिजनौर।

4)     अर्थ एवं संख्या प्रभाग बिजनौर।

 

अध्ययन क्षेत्र में कृषि भूमि उपयोग के अन्तर्गत कृषि तकनीकी ग्राह्यता एवं जनचेतना, जोतों का आकार एवं चकबन्दी सामाजिक सुविधाओं पर प्रभाव , कृषकों के जीवन स्तर पर प्रभाव, सामाजिक रूपान्तरण एवं प्रादेशिक विषमता को महत्वपूर्ण माना गया है। जनपद बिजनौर में कृषि भूमि उपयोग का सामाजिक विकास के पहलुओं का विश्लेषण किया गया है।

अध्ययन क्षेत्र जनपद बिजनौर में कृषि भूमि उपयोग का क्रियात्मक जोतों का आकार विभिन्न प्रखण्डों में 0.50 हे0 भूमि से कम जोतों के प्रखण्ड है। जिसमें कुल संख्या 151083 है, जबकि क्षेत्रफल के 45279 हे0 भूमि के जोतों का आकार है। उच्चतम स्तर के प्रखण्डों में व्यक्तियों की संख्या हल्दौर खारीझालू 16209, कोतवाली 18866, बूढ़नपुर स्योहारा 14803 , नूरपुर 13096, नजीबाबाद 12722 तथा न्यूनतम स्तर पर किरतपुर 9132 , नहतौर 10112, मोहम्मदपुर देवमल 11253, अफजलपुर 12442 है। क्षंेत्रफल के आधार पर उच्चतम स्तर के विकासखण्ड में अफजलपुर 5158 हे0, नूरपुर 5152 हे0, कोतवाली 4648 हे0, बूढ़नपुर स्योहारा 4635 हे0, हल्दौर खारी झालू 4152 हे0, तथा न्यूनतम नहतौर 2438 हे0, किरतपुर 2652 हे0 न्यूनतम  स्तर के प्रखण्ड हैं। 0.50 से 1.0 हे0 भूमि के प्रखण्ड उच्चतम स्तर पर व्यक्तियों की संख्या कोतवाली 11534 , नजीबाबाद 10648 , अफजलपुर 10452, है तथा किरतपुर 11534, मोहम्मदपुर 7051 तथा विभिन्न प्रखण्ड में व्यक्तियों के क्षेत्रफल  हे0 में उच्चतम स्तर पर कोतवाली 9725 हे0, जलीलपुर 9126 हे0, नजीबाबाद 7361 हे0 तथा न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड किरतपुर 3241 हे0 , नहतौर 4594 हे0 के प्रखण्ड हैं। 109 हे0 से 2.0 हे0 भूमि पर व्यक्तियों की संख्या उच्चतम स्तर के प्रखण्ड कोतवाली 8472 , जलीलपुर 6893, तथा न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड किरतपुर 3790, नहतौर 4360 है। उच्चतम क्षेत्रफल के प्रखण्ड अफजलपुर 10778 हे. ,, मोहम्मदपुर 10505 हे0, जलीलपुर 9830 हे0 तथा न्यूनतम स्तर पर किरतपुर 5506 हे0, नहतौर 6229 हे0, के प्रखण्ड है। 2.0 हे0 से 4.0 हे0 के व्यक्तियों की संख्या उच्चतम स्तर पर जलीलपुर 3576 , कोतवाली 3571 तथा न्यूनतम स्तर बूढ़नपुर स्योहारा 1730 के प्रमुख है। क्षेत्रफल के आधार नुरपुर 9618 हे0, जलीलाबाद 10009 हे0, उच्चतम स्तर के प्रखण्ड है तथा न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड नहतौर 4957 हे0 है। 4.0 हे0 से 10.0 हे0 भूमि के व्यक्तियों की संख्या उच्चतम स्तर के प्रखण्ड -जलीलपुर 912, नजीबाबाद 887, अफजलपुर 846 तथा न्यूनतम स्तर पर नहतौर 236 हे। 10.0 हे0 से अधिक व्यक्तियों की संख्या -अफजलपुर 55, मोहम्मदपुर 35 तथा न्यूनतम स्तर पर नहतौर 8, अल्हेैपुर 8, बूढ़नपुर स्योहारा 9 के प्रखण्ड है।

जनपद के 10.0 से अधिक विकासखण्डों के क्षेत्रफल के आधार पर प्रखण्डों में अफजलपुर 1255 हे0, नजीबाबाद 1186 हे0, कोतवाली 976 हे0, मोहम्मदखारी देवमल 572 हे0, हल्दौर खारी झालू 546 हे0, उच्चतम स्तर के प्रमुख है। न्यूनतम स्तर पर नहतौर 124 हे0, अल्हैपर 134 हे0, बूढ़नपुर 144 हे0, किरतपुर 190 हे0, नुरपुर 239 हे0 के प्रखण्ड है। कुल जोत आकार प्रखण्डों की संख्या के आधार पर कोतवाली 43258 , नजीबाबाद 34357 , अफजलपुर 33303 , बूढ़नपुर स्योहारा 32143, हल्दोर खारी झालू  33147 है। न्यूनतम स्तर किरतपुर 20705, नहतौर 23562 के प्रखण्ड है। कुल जोतों का आकार क्षेत्रफल के आधार पर विभिन्न प्रखण्डों में उच्चतम स्तर पर कोतवाली 39280 हे0 क्षेत्रफल , नजीबाबाद 35592 हे0, जलीलपुर 33935 हे0, क्षेत्रफल के प्रखण्ड है। किरतपुर 19853 हे0, नहतौर 21026 हे0 भूमि के प्रखण्ड है। इस प्रकार अध्ययन क्षेत्र में भूमि उपयोग का कुल व्यक्तियों के जोतों की संख्या 353098 है तथा कुल जोतों का आकार क्षेत्रफल की दृष्टि से 345597 हे0 भूमि उपलब्ध है। अध्ययन क्षेत्र जनपद बिजनौर में फसल वितरण का प्रतिरूप विकासखण्डवार 2016-17 की गणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 323198 हे0 भूमि है तथा नगरीय क्षेत्रों में 9130 हे0 भूमि है। कुल शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 332228 हे0 है तथा एक बार से अधिक बोया गया क्षेत्रफल ग्रामीण क्षेत्रों में 77247 हे0 तथा नगरीय क्षेत्रों में 1211 हे0, भूमि है। कुल कृषि भूमि 77458 हे0 है। सकल बोया गया क्षेत्रफल रबी फसल ग्रामीण एवं नगरीय दोनों का योग 410746 हे0 तथा खरीफ फसल 215817 हे0, जायद फसल के लिये  9255 हे0 , कृषि भूमि उपलब्ध है। गन्ने की फसल के कृषि भूमि 2053 हे0 भूमि है। शुद्ध सिंचित भूमि ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों की भूमि 325356 हे0 है। सकल सिंचित क्षेत्रफल ग्रामीण एवं नगरीय भूमि 388893 हे0 है। इस प्रकार अध्ययन क्षेत्र के विभिन्न प्रखण्डों में कृषि भूमि उपयोग का प्रतिरूप उच्चतम शुद्ध बोया गया क्षेत्र के प्रखण्ड कोतवाली 37945 हे0 मोहम्मदपुरी देवमल 35964 हे0, नजीबाबाद 35647 हे0, जलीलपुर 32426 हे0 के प्रखण्ड है तथा न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड अल्हैपुर 18740 हे0, बूढ़नपुर स्योहारा 21526 हे0, किरतपुर 22381 हे0 है। एक बार से अधिक बोया गया क्षेत्रफल मोहम्मदपुर देवमल 11475 हे0, नजीबाबाद 11606 हे0 ,बूढ़नपुर स्योहारा 8027 हे0 तथा न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड नूरपुर 3050 हे0, हल्दौर खारी झालू 4280 हे0, किरतपुर 5289 हे0, के प्रखण्ड है। कुल रबी, खरीफ, जायद की फसलों के लिए कृषि भूमि उपयोग के प्रखण्ड मोहम्मद देवमल 47439 हे0, नजीबाबाद 47253 हे0, कोतवाली 46140 हे0, जलीलपुर 39065 हे0, उच्चतम स्तर के प्रखण्ड हे तथा अल्हैपुर 24071 हे0, किरतपुर 27670 हे0, बूढ़नपुर स्योहारा 29553 हे0, न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड है। गन्ने की फसल के लिये कृषि भूमि उपयोग के प्रखण्ड जलीलपुर 395 हे0, नजीबाबाद 387 हे0, हल्दौर खारी झालू 298 हे0, अफजलपुर 06 हे0, तथा न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड है।

 

 

 

 

बिजनौर जनपद में फसल वितरण का प्रतिरूप विकासखण्डवार हे0 में  2016-17

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स्रोत

1)     भूलेख अधिकारी बिजनौर जनपद

2)     जिला सांख्यिकीय पत्रिका जनपद बिजनौर 2015-16

 

नूरपुर 31 हे0, बूढ़नपुर 60 हे0, किरतपुर 86 हे0, नहतौर 82 हे0, अल्हैपुर 92 हे0, भूमि है। शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल मोहम्मददेवमल 37645 हे0, कोतवाली 37626 हे0, हल्दौर खारीझालू 35355 हे0 भूमि है तथा न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड अल्हैपुर 15771 हे0, नजीबाबाद 16672 हे0, के प्रखण्ड है। सकल सिंचित क्षेत्रफल उच्चतम स्तर के कोतवाली 51140 हे0, मोहम्मददेवमल 46419 हे0, नजीबाबाद  46312 हे0, न्यूनतम स्तर के प्रखण्ड अल्हैपुर 21817 हे0, बूढ़नपुर स्योहारा 23658 हे0 भूमि है। इस प्रकार शोधार्थी द्वारा अपने अध्ययन क्षेत्र में आॅकड़ों को प्रस्तुत किया है।

 

2.      सामाजिक विकास पर प्रभाव

         

कृषि विकास प्राकृतिक कारकों के साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रवृत्तियों से भी प्रभावित होती है। स्टैम्प न भूमि उपयोग को प्रभावित करने वाले कारकों में सामाजिक ,आर्थिक कारकों का विशेष महत्व प्रदान किया है। सामाजिक मानवीय कारकों को प्राथमिकता दी है। सामाजिक व्यवसाओं  में विभिन्न धर्मों के जातिगत, विशेषताओं, रीति-रिवाजों, आदतों तौर-तरीकों, खेती के आकार-प्रकार , काश्तकारी , भूस्वामित्व, कृषि पद्धतियों एवं कृषि स्वरूप आदि प्रभावित करता है। अध्ययन क्षेत्र बिजनौर जनपद के विभिन्न प्रखण्डों में जोतों का आकार तथा भूमि विभाजन से बढ़ता अनियति कृषि भूमि दिन-प्रतिदिन छोटे खण्डों में विभाजित होते है। जिनका नियोजन करना सम्भव नहीं है। ये सामाजिक प्रभाव के कारण कृषि भूमि का उपयोग का प्रतिरूप बदलता जा रहा है। इसके बदलते स्वरूप के प्रमुख कारण सामाजिक विकास माना जा रहा है। मानव समाज के बदलते स्वरूप और आवश्यकता के कारण अध्ययन क्षेत्र में कृषि भूमि उपयोग का स्वरूप सामाजिक विकास आज एक जटिल समस्या के रूप में मानव के सामने परिलक्षित जैसे भूजल दोहन, आवास , वन-विनाश, भू क्षरण, मृदा अपरदन , भूमि की गुणवत्ता में कमी, मानव द्वारा भूमि अति दोहन, पर्यावरणीय समस्या, जल प्रदूषण तकनीकी, औद्योगिकी का प्रभाव, जैविक उर्वरकों की कमी आदि कारण हैं।

 

3.     कृषि भूमि उपयोग का भावी नियोजन की आवश्यकता

      

अध्ययन क्षेत्र जनपद बिजनौर में कृषि भूमि उपयोग का भावी नियोजन की आवश्यकता एवं इच्छाओं के अनुरूप भूमि का उपयोग करते है। किसी क्षेत्र का भूमि वहाँ  भी आर्थिक, सामाजिक समस्याओं को सुलझाने में सम्पन्न किया जा रहा हो और प्राकृतिक पर्यावरण का प्रभाव कम हो उसे भूमि संसाधन उपयोग की संज्ञा दी जाती है। बारलो के अनुसार ‘‘भूमि संसाधन भूमि समस्या और उसके नियोजन की विवेचना की वह धुरी है जिसके पाँच बिन्दु है-

1)     आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न समाज की स्थापना

2)     भूमि संसाधन उपयोग की अवस्था तथा अनुकूलतम उपयोग का निर्धारण।

3)     विभिन्न लागत कारकों ( श्रम ओैर पूंजी आदि) के अनुपात में भूमि से अधिकतम लाभ की योजना।

4)     फसलगत भूमि के उपयोग में मॉंग के आधार पर लाभदायक सामंजस्य तथा परिवर्तन का सुझाव ।

5)     किसी क्षेत्र के लिये अनुकूलतम एवं बहुउद्देश्यीय भूमि उपयोग का विवेचन करना तथा उसके सुझावों को क्षेत्रीय अंगीकरण हेतु समन्वित करना । ‘‘

         

इस प्रकार शोधार्थी द्वारा बिजनौर जनपद में कृषि भूमि उपयोग का सामाजिक विकास पर प्रभावों की विवेचना है। कृषि भूमि उपयोग का नियोजन भावी योजनाओं के माध्यम से भूमि की गुणवत्ता को बनाये रखने की आवश्यकता महत्वपूर्ण है, क्यूँकि भूमि से ही सम्पूर्ण जगत के विकास के आयाम होते है। कृषि भूमि उपयोग भूमि की संरचना एवं विकास के फलस्वरूप विकसित होते हैं तथा समाज तथा राष्ट्र भूमि उपयोग के नियोजन से ही भूमि की उपयोगिता का मूल्य ऑका जा सकता है।

 

SOURCES OF FUNDING

 

None.

 

CONFLICT OF INTEREST

 

None.

 

ACKNOWLEDGMENT

 

None.

 

REFERENCES

 

      [1]      तिवारी आर0सी0 एवं सिंह बी0एन0: कृषि भूगोल प्रयाग पुस्तक भवन इलाहाबाद 2000 ।

      [2]      मिश्रा विनीत: कृषि अर्थशास़्त्र भारत भारती प्रकाशन एण्ड कम्पनी मेरठ-1996-97 ।

      [3]      वेद प्रकाश अरोड़ा: कृषि का ऊॅचा उठता ग्राम योजना मासिक अंक:  जनवरी 2011 ।

      [4]      डिस्ट्रिक्ट गजेटियर आफ बिजनौर 1981 ।

      [5]      जिला अर्थ एवं संख्या प्रभाग द्वारा प्रकाशित विकास पुस्तिका जनपद बिजनौर।

      [6]      जिला सांख्यिकीय पत्रिका जनपद बिजनौर।

      [7]      रहमान ए0:भारत मे विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी भागीरथी सेवा संस्थान गाजियाबाद 1986 ।

      [8]      मेहता बी0शर्मा एवं सैनी एन0पी0: कृषि अर्थशास़्त्र. नेशनल पब्लिसिंग हाउस नई दिल्ली।

      [9]      सिंही जगदीश: सिंह एन0के0: भारत एवं समीपवर्ती  देश: ज्ञानोदय प्रकाशन गोरखपुर 1989 ।

     [10]     अमरेन्द्र कुमार राय: किसानों का बजट योजना मासिक पत्रिका मार्च 2010 ।

     [11]     समाचार पत्र, पत्रिका जनगणना कार्यालय 2011 ।

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