STUDY OF
THE EFFECT OF PARENTING STYLE ON AGGRESSION OF HIGHER SECONDARY LEVEL STUDENTS
उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों पर अभिभावक शैली का उनकी आक्रामकता पर प्रभाव का अध्ययन
Pragati Saxena 1, Dr. Mitali Bajaj 2
1 Research Scholar, Maharaja
Mahavidyalaya, Research Centre (Education), Vikram University Ujjain, Madhya
Pradesh, India
2 Research Director & Associate
Professor, Maharaja Mahavidyalaya, Research Centre (Education), Vikram
University Ujjain, Madhya Pradesh, India
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ABSTRACT |
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English: The objective of the present research was to study the correlation between parenting style and aggressive tendencies of higher secondary level students. The study included 500 students (250 from government and 250 from private schools) from Kota district. The results showed that there is a moderate to strong positive correlation between parenting style and aggressive tendencies, which was found to be statistically significant. This correlation was stronger among students of private schools. This finding clearly shows that parenting style has a direct impact on the behaviour and emotional balance of students. This research can prove useful for parents, teachers, counsellors and education policy makers, so that they can understand the aggressive tendencies of adolescents and guide positive social and emotional development. Hindi: वर्तमान शोध का उद्देश्य उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की अभिभावक शैली एवं उनकी आक्रामक प्रवृत्तियों के मध्य सहसंबंध का अध्ययन करना था। अध्ययन में कोटा ज़िले के 500 विद्यार्थियों (250 सरकारी एवं 250 निजी विद्यालयों से) को शामिल किया गया। परिणामों से ज्ञात हुआ कि अभिभावक शैली और आक्रामक प्रवृत्तियों के मध्य मध्यम से प्रबल धनात्मक सहसंबंध विद्यमान है, जो सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण पाया गया। निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों में यह सहसंबंध अधिक प्रबल रहा। यह निष्कर्ष स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अभिभावक की शैली विद्यार्थियों के व्यवहार और भावनात्मक संतुलन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती है। यह शोध अभिभावकों, शिक्षकों, परामर्शदाताओं एवं शिक्षा नीति निर्माताओं के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है, जिससे वे किशोरों की आक्रामक प्रवृत्तियों को समझकर सकारात्मक सामाजिक एवं भावनात्मक विकास को दिशा दे सकें। |
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Received 17 April 2025 Accepted 18 May 2025 Published 21 July 2025 DOI 10.29121/granthaalayah.v13.i6.2025.6285 Funding: This research
received no specific grant from any funding agency in the public, commercial,
or not-for-profit sectors. Copyright: © 2025 The
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reuse, re-print, modify, distribute, and/or copy their contribution. The work
must be properly attributed to its author.
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Keywords: Parenting Style, Aggressive Behaviour, Correlational Study, Adolescence, अभिभावक
शैली, आक्रामक
प्रवृत्ति, सहसंबंधात्मक
अध्ययन, किशोरावस्था, उच्चतर
माध्यमिक
विद्यार्थी, सरकारी एवं
निजी
विद्यालय |
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1. प्रस्तावना
आज के
प्रतिस्पर्धात्मक
युग में
विद्यार्थी न
केवल
शैक्षणिक
उपलब्धियों
के लिए संघर्ष
कर रहे हैं, बल्कि
मानसिक,
सामाजिक और
भावनात्मक
चुनौतियों से
भी जूझ रहे
हैं।
किशोरावस्था
एक ऐसा
संवेदनशील
दौर होता है, जिसमें
विद्यार्थियों
का
व्यक्तित्व
तेजी से
विकसित होता
है। इस समय वे
समाज,
परिवार और
विद्यालय से
प्राप्त
अनुभवों के आधार
पर विभिन्न
व्यवहारों को
अपनाते हैं।
इस प्रक्रिया
में
अभिभावकों की
भूमिका
अत्यंत महत्वपूर्ण
होती है।
अभिभावक जिस
प्रकार से अपने
बच्चों के साथ
संवाद करते
हैं, अनुशासन
लागू करते हैं
और स्नेह या
नियंत्रण
प्रदर्शित
करते हैं, वह
उनकी 'अभिभावक
शैली'
कहलाती है।
यह शैली
बच्चों के
मानसिक विकास
और सामाजिक
व्यवहार, विशेषतः
आक्रामक
प्रवृत्तियों
पर गहरा प्रभाव
डालती है।
आक्रामकता
एक सामाजिक
व्यवहार है जो
शारीरिक, मौखिक या
प्रतीकात्मक
रूप में
दूसरों को हानि
पहुँचाने की
इच्छा से
उत्पन्न होती
है। जब किसी
विद्यार्थी
की
आवश्यकताओं
की उपेक्षा होती
है, या
उसे उचित
सामाजिक
समर्थन नहीं
मिलता,
तो वह
विभिन्न
प्रकार की
आक्रामक
प्रतिक्रियाएं
दे सकता है।
माता-पिता की
कठोर,
उदासीन या
अत्यधिक
संरक्षणात्मक
शैली विद्यार्थियों
में कुंठा, विद्रोह
एवं
आक्रामकता को
जन्म दे सकती
है। वहीं
दूसरी ओर, सहायक
एवं
लोकतांत्रिक
अभिभावक शैली
आत्म-संयम, संवाद
कौशल और
सामाजिक
समायोजन को
प्रोत्साहित
करती है, जिससे
आक्रामक
प्रवृत्तियाँ
नियंत्रित रहती
हैं।
इस शोध
अध्ययन का
उद्देश्य यह
जानना है कि
किस प्रकार
विभिन्न
अभिभावक
शैलियाँ—जैसे
कि अधिकारात्मक
(Authoritarian), सहायक/लोकतांत्रिक
(Authoritative), या
उदासीन (Neglectful/Permissive)—उच्चतर
माध्यमिक
स्तर के
विद्यार्थियों
की आक्रामक
प्रवृत्तियों
को प्रभावित
करती हैं। यह
अध्ययन
वर्तमान समय
में अत्यंत
प्रासंगिक है
क्योंकि
विद्यार्थियों
में बढ़ती आक्रामकता
न केवल उनके
व्यक्तिगत
विकास को बाधित
करती है, बल्कि
सामाजिक एवं
शैक्षणिक
परिवेश में भी
असंतुलन
उत्पन्न करती
है।
2.
अध्ययन
का औचित्य
यह अध्ययन
इसलिए आवश्यक
है क्योंकि
वर्तमान समय
में किशोर
विद्यार्थियों
में आक्रामकता
की प्रवृत्ति
चिंताजनक रूप
से बढ़ रही है, जिसका
एक प्रमुख
कारण
अभिभावकों की
पालन-पोषण
शैली हो सकती
है। परिवार
बच्चों का
प्रथम सामाजिक
वातावरण होता
है, जहाँ
उनके मूल
व्यवहार, सोचने की
शैली और
भावनात्मक
प्रतिक्रिया
के बीज बोए
जाते हैं। यदि
अभिभावकों की
शैली संवादशील, सुसंगत
और
स्नेहयुक्त
नहीं है, तो किशोर
मानसिक
असंतुलन, क्रोध, हठ
और आक्रोश
जैसे व्यवहार
प्रदर्शित कर
सकते हैं। इस
अध्ययन के
माध्यम से यह
स्पष्ट होगा
कि अभिभावक
शैली का
विद्यार्थियों
की आक्रामकता
पर किस प्रकार
का प्रभाव
पड़ता
है—सकारात्मक
या नकारात्मक।
इसके
अतिरिक्त, यह
शोध
अभिभावकों, शिक्षकों
और
परामर्शदाताओं
को व्यवहारिक
अंतर्दृष्टियाँ
प्रदान करेगा, जिससे
वे किशोर
विद्यार्थियों
के व्यवहार को
बेहतर समझ
सकें और उनके
सामाजिक-भावनात्मक
विकास में
सहायक हो
सकें। यह
अध्ययन नीति
निर्माताओं
के लिए भी
उपयोगी हो
सकता है, जिससे वे
विद्यालयों
एवं समुदायों
में अभिभावक
शिक्षा
कार्यक्रमों
की योजना बना
सकें। कुल
मिलाकर,
यह शोध समाज
के उस पहलू की
पड़ताल करता
है, जो
अकसर अनदेखा
रह जाता है
लेकिन
किशोरों के व्यक्तित्व
निर्माण में
निर्णायक
भूमिका निभाता
है।
3. अध्ययन के उद्देश्य
1) उच्चतर
माध्यमिक
स्तर के
विद्यार्थियों
की अभिभावक
शैली एवं
आक्रामक
प्रवृत्तियों
के मध्य
सहसंबंध का
पता लगाना।
2) उच्चतर
माध्यमिक
स्तर के
सरकारी एवं
निजी विद्यालयों
के
विद्यार्थियों
की अभिभावक
शैली एवं
आक्रामक
प्रवृत्तियों
के मध्य
सहसंबंध का
पता लगाना।
4. परिकल्पनाएँ
1) उच्चतर
माध्यमिक
स्तर के
विद्यार्थियों
की अभिभावक
शैली एवं
आक्रामक
प्रवृत्तियों
के मध्य कोई
सार्थक
सहसंबंध नहीं
है।
2) सरकारी
एवं निजी
विद्यालयों
के उच्चतर
माध्यमिक
विद्यार्थियों
की अभिभावक
शैली एवं आक्रामक
प्रवृत्तियों
के मध्य
सहसंबंध में
कोई
महत्वपूर्ण
अंतर नहीं है।
5. शोध विधि एवं प्रविधि
प्रस्तुत
शोध की
प्रकृति को
देखते हुए
शोधार्थी
द्वारा
वर्णनात्मक
सर्वेक्षण
विधि का उपयोग
किया गया है।
प्रस्तुत शोध
कार्य में राजस्थान
राज्य के कोटा
जिले के
उच्चतर
माध्यमिक
विद्यालयों
के 500
विद्यार्थियों
का चयन किया
गया है,
जिनमें 250 राजकीय
विद्यालय के
छात्र-छात्राएँ
एवं 250
निजी
विद्यालय के
छात्र-छात्राएँ
हैं। प्रस्तुत
अध्ययन में
उपकरण हेतु
राजीव लोचन
भारद्वाज, हरीश
शर्मा,एवं
अनीता गर्ग
द्वारा
निर्मित
‘‘अभिभावक-शैली
मापनी‘‘ एवं डॉ.
रोमा पाल एवं
डॉ. तसनीम
नकवी द्वारा
निर्मित
‘‘आक्रामकता
मापनी‘‘ का
उपयोग किया
गया। प्राप्त
आंकड़ों का
विश्लेषण
पीयर्सन सहसंबंध
गुणांक तकनीक
द्वारा किया
गया।
6. सांख्यिकीय विश्लेषण
सारणी 1
|
सारणी 1 समग्र समूह
के लिए
अभिभावक
शैली एवं
आक्रामक प्रवृत्ति
के मध्य
सहसंबंध (n = 500) |
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समूह |
Pearson’s r मान |
p-मूल्य |
सहसंबंध
की प्रकृति |
सांख्यिकीय
निष्कर्ष |
|
विद्यार्थी |
0.52 |
0.001 |
मध्यम
धनात्मक |
सहसंबंध
महत्वपूर्ण
है |
व्याख्या
सामूहिक
स्तर पर 500
विद्यार्थियों
के आंकड़ों का
विश्लेषण करने
पर Pearson सहसंबंध
गुणांक (r = 0.52) प्राप्त
हुआ, जो
मध्यम
धनात्मक
सहसंबंध को
दर्शाता है।
इसका अर्थ है
कि जैसे-जैसे
विद्यार्थियों
की अभिभावक
शैली में
कठोरता या
असहजता बढ़ती
है, वैसे-वैसे
उनकी आक्रामक
प्रवृत्तियाँ
भी बढ़ती हैं।
सारणी 2
|
सारणी 2 सरकारी
विद्यालयों
के
विद्यार्थियों
के लिए
सहसंबंध (n = 250) |
||||
|
विद्यालय
प्रकार |
Pearson’s r मान |
p-मूल्य |
सहसंबंध
की प्रकृति |
सांख्यिकीय
निष्कर्ष |
|
सरकारी |
0.45 |
0.003 |
मध्यम
धनात्मक |
सहसंबंध
महत्वपूर्ण
है |
व्याख्या
सरकारी
विद्यालयों
के
विद्यार्थियों
में r
= 0.45 पाया गया, जो
मध्यम तथा
सांख्यिकीय
रूप से
महत्वपूर्ण सहसंबंध
को दर्शाता
है। इससे
स्पष्ट होता
है कि सरकारी
विद्यालयों
में भी
अभिभावक शैली
का
विद्यार्थियों
की आक्रामकता
से संबंध मौजूद
है।
सारणी 3
|
सारणी 3 निजी
विद्यालयों
के
विद्यार्थियों
के लिए Pearson सहसंबंध
(n = 250) |
||||
|
विद्यालय
प्रकार |
Pearson’s r मान |
p-मूल्य |
सहसंबंध
की प्रकृति |
सांख्यिकीय
निष्कर्ष |
|
निजी
विद्यालय |
0.61 |
0.000 |
प्रबल
धनात्मक |
सहसंबंध
अत्यधिक
महत्वपूर्ण
है |
व्याख्या
निजी
विद्यालयों
के
विद्यार्थियों
में r
= 0.61 पाया गया, जो
कि एक प्रबल
धनात्मक
सहसंबंध है।
इसका अर्थ है
कि निजी
विद्यालयों
के
विद्यार्थियों
की आक्रामकता
पर अभिभावक
शैली का
प्रभाव अधिक स्पष्ट
रूप में
परिलक्षित
होता है।
7. निष्कर्ष
इस अध्ययन
का मुख्य
उद्देश्य यह
था कि उच्चतर माध्यमिक
स्तर के
विद्यार्थियों
की अभिभावक
शैली और उनकी
आक्रामक
प्रवृत्तियों
के मध्य क्या
कोई सहसंबंध
विद्यमान है।
अध्ययन के निष्कर्षों
से यह स्पष्ट
रूप से सिद्ध
हुआ कि अभिभावक
शैली और
विद्यार्थियों
की आक्रामक प्रवृत्ति
के मध्य मध्यम
से प्रबल
धनात्मक सहसंबंध
पाया गया, जो
सांख्यिकीय
रूप से
महत्वपूर्ण
था।
विशेषतः
निजी
विद्यालयों
के
विद्यार्थियों
में यह
सहसंबंध अधिक
प्रबल पाया
गया, जो
यह संकेत करता
है कि अत्यधिक
नियंत्रणकारी, दमनकारी
या
उपेक्षापूर्ण
अभिभावक शैली
बच्चों में
कुंठा,
तनाव और
अंततः
आक्रामक
व्यवहार को
जन्म देती है।
इसके विपरीत, सहयोगात्मक
एवं संवादपरक
अभिभावक शैली
आक्रामक
प्रवृत्तियों
को नियंत्रित
करने में सहायक
होती है।
यह अध्ययन
इस दिशा में
चेतावनी
प्रदान करता है
कि किशोरों के
व्यक्तित्व
विकास एवं
भावनात्मक
स्वास्थ्य को
संतुलित बनाए
रखने के लिए परिवार
वातावरण की
भूमिका
अत्यंत
महत्वपूर्ण
है। यदि
अभिभावक
संवाद,
सहानुभूति, सुसंगत
अनुशासन और
समर्थनात्मक
दृष्टिकोण अपनाते
हैं, तो
विद्यार्थियों
की आक्रामक
प्रवृत्तियों
को सकारात्मक
रूप से
रूपांतरित
किया जा सकता
है।
8. सुझाव
·
अभिभावक
प्रशिक्षण
कार्यक्रम
आयोजित किए जाएँ, जिनमें
बच्चों की
मनोवैज्ञानिक
आवश्यकताओं
को समझने और
सकारात्मक
अभिभावक शैली
अपनाने के
उपाय बताए
जाएँ।
·
विद्यालयों
में नियमित
परामर्श
सत्रों की व्यवस्था
हो, जिसमें
विद्यार्थियों
की भावनात्मक
समस्याओं को
सुना और
समाधान किया
जाए।
·
विद्यालय
में मूल्य
आधारित
शिक्षा,
जीवन कौशल
एवं
आत्म-नियंत्रण
जैसे विषयों
को समावेशित
किया जाए, ताकि
आक्रोश,
क्रोध और
आक्रामकता को
नियंत्रित
किया जा सके।
·
शिक्षक, अभिभावक
एवं
परामर्शदाता
मिलकर एक
समन्वित व्यवहार
विकास
कार्यक्रम
विकसित करें
जिससे
किशोरों के
व्यक्तित्व
को संतुलित
दिशा मिल सके।
·
भविष्य
में इस विषय
पर गुणात्मक
अध्ययन भी किए
जाएँ,
जिससे
आक्रामकता के
गहरे कारणों, सामाजिक-सांस्कृतिक
कारकों और
पारिवारिक वातावरण
की भूमिका को
बेहतर समझा जा
सके।
None.
None.
Aggression: Its Causes, Consequences, and Control. McGraw-Hill.
Baumrind, D. (1991). The Influence of Parenting Style on Adolescent Competence and Substance use. Journal of Early Adolescence, 11(1), 56–95. https://doi.org/10.1177/0272431691111004
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