ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts
ISSN (Online): 2582-7472

0BTHE ROLE OF ART MUSIC IN RELIEVING STRESS - IN SPECIAL REFERENCE TO DANCE

विशेष तनाव दूर करने में कला संगीत की भूमिका - नृत्य के विशेष संदर्भ में

 

Dr. Suchitra Harmalkar 1P4C1T1#yIS1

 

1B1 Head of Department, Dance, Government Maharani Laxmi Bai Girls P.G. College, Indore, India

 

 

 

P10C2T1#yIS1

P13C3T1#yIS1

 

 

 

 

 

 

 

 

Received 20 April 2020

Accepted 16 June 2020

Published 27 June 2020

Corresponding Author

Dr. Suchitra Harmalkar, suchitra.harmalkar@gmail.com         

DOI 10.29121/shodhkosh.v1.i1.2020.12

Funding: This research received no specific grant from any funding agency in the public, commercial, or not-for-profit sectors.

Copyright: © 2020 The Author(s). This is an open access article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution License, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.

 

 

 


P34C4T1#yIS1

ABSTRACT

 

English: The covid-19 epidemic has shaken the entire world today. In this difficult period, the person is frightened about the future, worried, and stressed. The writings written in newspapers, the moving news on the book, and the wisdom of knowledge have further enhanced his problem. This untouchable, unwanted calamity has imprisoned the person imprisoned in their homes away from social activities so much that even a very healthy person is under stress. The fear of something happening every moment dominates him so much that he suffers from a variety of mental illnesses that have had an adverse effect on his physical health as well. In such times, there are arts which provide peace to man.

 

Hindi: कोविड-19 महामारी ने आज सम्पूर्ण विश्व को झकझोर दिया है। इस कठिन दौर में व्यक्ति भविष्य को लेकर भयाक्रान्त है, चिन्तित और तनावग्रस्त है। अखबारों में लिखी इबारतें, टी. वी. पर चलती खबरें और व्हाट्सएप्प ज्ञान ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। सामाजिक गतिविधियों से दूर अपने घरों में कैद व्यक्ति को इस अनसोची, अनचाही विपत्ति ने इतना भयभीत कर दिया है कि अच्छा खासा स्वस्थ्य व्यक्ति भी तनाव में आ गया है। हर पल कुछ हो जाने का भय उस पर इस कदर हावी है कि वह तरह-तरह की मानसिक बिमारियों से ग्रसित हो गया है जिसका उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा है। ऐसे समय में कलाएं है जो मनुष्य को सुकून प्रदान करती है।

 

Keywords: Special, Relieve, Stress, Art, Music, Dance विशेष, तनाव, दूर, कला, संगीत, नृत्य

 

1.    INTRODUCTION

          एकाकीपन में कैद कुछ व्यक्तियों ने कलम उठा ली है - कथा, कविताओं और लेख के माध्यम से वे अपनी बात कलात्मक ढंग से कहने की कोशिश  कर रहे हैं। कुछ ने अपने आप को संगीत के सुरों में डुबो लिया है - कुछ ने रंगों और रेखाओं से अपनी अभिव्यक्ति पा ली है तो कुछ नृत्य के माध्यम से अपनी नकारात्मकता को दूर कर प्रसन्नता के सागर में गोते लगा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ये सभी कलाकार है, किसी ने बचपन में कभी नृत्य संगीत सीखा होगा, कोई ऐसा भी होगा जिसे ड्रांइग, पेंटिंग का शौक होगा, पर आज ये शौक, ये कलाएं उसके सबसे अच्छे मित्र साबित हो रहे हैं। इनमें अपने आप को व्यक्त करने की कोशिश निश्चित ही व्यक्ति को इस कठिन समय में बेहतर बने रहने की ऊर्जा प्रदान कर रही है।

फिर आप उनकी बात सोचिए जो कलाकार है जिन्होंने किसी कला विशेष की विधिवत शिक्षा

 

 


ग्रहण की है उनके लिए इस समय में उनकी कला किसी ईश्वरीय वरदान से कम साबित नहीं  हो रही है।

कला एक साधना है, कलाकार के पास समय है कि वह अपनी कला में उच्चता पाने के लिए इस वक्त खूब रियाज करे, मेहनत करे। कला की साधना ईश्वर प्राप्ति का सबसे सरल माध्यम है। भारतीय शास्त्रीय नृत्यकला में भावों की अभिव्यक्ति के समय ताल और लय को साधता हुआ कलाकार का तन जब मन के भावों से जुड़कर किसी भाव विशेष की अभिव्यक्ति देता है तब अनिवर्चनीय आनन्द की अनुभूति होती है तथा भाव विशेष की गति में डूबा कलाकार, शरीर और मन को एकाग्र करते हुए ध्यान व समाधि की स्थिति में पहुंच जाता है जहाँ तनाव उसे स्पर्श भी नहीं कर पाता। कला मनुष्य को ईश्वर से प्राप्त सबसे अनमोल उपहार है। हम अपने आप को सौभाग्यशाली समझें कि हम कलाकार हैं। कला चाहे कोई भी हो मनुष्य को परिपूर्ण बनाती है। मनुष्य तकनीकी दृष्टि से कितना भी आगे बढ़ जाए, कितना भी पढ़ लिख ले उसे एक छन्द या कला की हमेशा आवशयकता होती है जो उसकी भागती - दौड़ती जिन्दगी में कुछ सरलता पैदा कर सके, अन्यथा उसका जीवन कठिन हो जावेगा। कलाएं कई तरह की है जिनसे हम आप नाता जोड़ सकते हैं किन्तु नृत्य एक ऐसी कला है जिसमें मनुष्य का मन सबसे ज्यादा रमता है। मनुष्य के आनन्द की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है नृत्य। कहते हैं जब मनुष्य प्रसन्न होता है तो नृत्य करता है, या जब वह नृत्य करता है तो प्रसन्नता अपने आप आ जाती है।

नृत्य चाहे कोई भी हो व्यक्ति को एक अनोखी ऊर्जा से भर देता है। नृत्य एक व्यायाम भी है जो शरीर को परिपुष्ट करता है। तीव्र गति से किए गए नृत्य से शरीर में रक्त संचार का प्रवाह होता है जो मस्तिष्क को प्रसन्नता देता है। कहते हैं कि जब व्यक्ति नृत्य करता है तो उसके शरीर में कुछ हार्मोन्स का सीक्रीषन होता है जिनके नाम है neurotransmitter endorphins आदि, इन्हें happy hormones भी कहा जाता है, ये हार्मोन्स व्यक्ति के तनाव को दूर कर उसे प्रसन्न और स्थिर करते हैं। चूंकि तनाव की वजह से आदमी अन्दर से खोखला हो जाता है और यह आदमी का सबसे बड़ा शत्रु है यदि इसे समय रहते न पहचाना गया और इसका इलाज नहीं किया गया तो हम कई तरह की शारीरिक और मानसिक बिमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।

आज के इस कठिन समय में अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने तथा तनावमुक्त रहने के लिए योग प्राणायाम की बात की जा रही है। योग में किए जाने वाले आसन में हम अपने शरीर के हर अवयव से जुड़ते हैं व शरीर के बाद अपनी अन्तरात्मा के साथ एकाकार होने का अनुभव करते हैं यही बात नृत्य के परिप्रेक्ष्य में देखें तो योग के विभिन्न आसनों की तरह नृत्य में हम विभिन्न अंग विन्यास और स्थिर भंगिमाओं की रचना करते हैं। अंग प्रत्यंग उपांगों के निष्चित हलन-चलन से हमें योग के आसनों की तरह ही लाभ प्राप्त होता है।

यह अनुभव किया गया है कि यदि मस्तिष्क को विभिन्न तरीकों से काम करने के लिए उत्प्रेरित किया जाए तो इससे कई नवीन वाहिनियाँ खुल जाती है। नृत्यकार सृजन के क्षणों में अपनी रचनात्मकता को प्रदर्षित करने हेतु अपने शरीर मन बुद्धि तीनों को क्रियाशील बनाता है। मनोवैज्ञानिकों का कथन है कि मनुष्य के भीतर बहुत सी ऐसी शक्तियाँ है जिसका ज्ञान उसे स्वयं नहीं होता है। योग तथा नृत्य संगीत के माध्यम से उन अज्ञात शक्तियों का विकास संभव है।

नृत्य की क्रिया व्यक्ति की शवासन की गति को नियंत्रित करने में सहायक है, नृत्य करने से व्यक्ति का स्टेमिना भी बढ़ता है जिससे दैनदिन के कार्यों में उसे कम थकान महसूस होती है। नृत्य में एकाग्रता की सबसे ज्यादा जरूरत है जो व्यक्ति को तनावमुक्त कर देती है। नृत्य करते समय ताल और लय को स्थापित किए जाने वाले वाद्यों की ध्वनि और तीव्र गति के शब्द व्यक्ति के स्वास्थ्य पर जादुई असर डालते हैं यह रक्तचाप के नियंत्रण और अवसाद तथा अस्थिरता को दूर करने में सहायक है। नृत्य चूंकि एक श्रमसाध्य क्रिया है जिसको करने से पसीना आता है तथा जिसके माध्यम से शरीर के किटाणुओं के साथ नकारात्मक विचार भी बाहर निकल जाते हैं। नृत्य में विशेषकर शास्त्रीय नृत्य में शरीर और मस्तिष्क दोनों का तालमेल आवश्यक होता है। अतः शरीर के साथ-साथ व्यक्ति का मस्तिष्क भी क्रियाशील और ऊर्जावान बनता है इसीलिए इसे Healing Art का दर्जा भी दिया गया है।

आज ऐसे व्यक्ति जिन्होंने कभी नृत्य सीखा नहीं, किया नहीं, स्वबा कवूद के समय में अपने पसन्दीदा गाने या धुन पर थिरक रहे हैं और स्वयं आष्चर्य कर रहे हैं कि आनन्द प्राप्ति का इतना सीधा सरल उपाय उन्हें इसके पहले कैसे ध्यान में नहीं आया और यह किसी भी कला के साथ संभव है तो आईये कला से नाता जोड़िए, ऊर्जावान बनिए और सकारात्म्क सोच के साथ तनावमुक्त हो जाइए। क्योंकि इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि समाज के हर परिवर्तन में कलाओं ने  जीवन को ढूंढा है या यह कह लीजिए कि कलाओं में ही हर बार हमें जीवन के दर्शन हुए हैं।

 

REFERENCES

Azad, T. R. (2020), Kathak Darpan (3rd ed.). Natveshavar Kala Mandir. https://www.flipkart.com/kathak-darpan/p/itm83bee49716ad7

Bakshi, J. (2000), Kathak : Aksharon ki Aarsi. Madhya Pradesh Hindi Granth Academy, Bhopal. https://www.exoticindiaart.com/book/details/kathak-aksharon-ki-aarsi-mzg198/  

 

 

Creative Commons Licence This work is licensed under a: Creative Commons Attribution 4.0 International License

© ShodhKosh 2020. All Rights Reserved.