ShodhKosh: Journal of Visual and Performing ArtsISSN (Online): 2582-7472
Experimental
Practices by Printmakers in The World of Printmaking विश्व छापाकला के बदलती प्रकृति पर अध्ययन 1 Associate Professor, P. R. Patil College of Architecture Amravati, Sant Gadge Baba Amravati University, University in Amravati, Maharashtra, India
‘‘द प्रिंट
काउंसिल ऑफ अमेरिका‘‘ ने ललित कला
को ‘ग्राफिक‘
कला शब्द
से अलग
करने के
लिए प्रिंटमेकिंग
संबंध में कुछ
नियम बनाए
है। जिसका
पालन अब
तक सभी
देशों में किया
जाता था।
लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर
हालात बदलते हुई
नजर आ रहे
है। आज
कई देशों
में छापाचित्र
बनाने के लिए
अपरंपरागत
तरीकों का इस्तेमाल
किया जा
रहा है।
जिससे छापाकला के प्रसार
में भी
लाभ हो
रहा है।
एक बार फिर व्यावसायिक
प्रिंटिंग
और ललित
कला के
बीच का
अंतर धुंधला
हो रहा
है।
कला समय
के साथ
निरंतर बदलती रहती
है। प्रौद्योगिकी
और विज्ञान
में नवाचारों
का मानवीय
जीवन शैली
के साथ-साथ
कला जगत
पर भी
प्रभाव पड़ता है।
आज कला
दीर्घाओं
में छापाचित्र
केवल कागज
पर ली
गई छापें
जो दीवार
पर लगाने
की दायरे
तक सीमित
दिखाई नहीं देता
है। आज
छापा कलाकार
कला दीर्घाओं
में सभी
बाधाओं को पार
करते हुए
और स्वतंत्र
रूप से
विभिन्न माध्यमों में छापाकला
का आविष्कार
करते हुए
देखे जाते
हैं। यही
कारण है,
कि अर्पण
मुखर्जी जैसे प्रसिद्ध
कलाकार का कहना
है कि
‘‘पारंपरिक‘‘
तरीकों का उपयोग
करने वाले
प्रिंट आज अंतरराष्ट्रीय
कला दीर्घाओं
में प्रतिष्ठित
द्विवार्षिक
प्रदर्शनियों
में कहीं
नहीं देखे
जाते हैं‘‘। 2.
विषय का
विश्लेषण
ग्राफिक’ कला की
यात्रा ब्लॉक प्रिंटिंग
से शुरू
होकर विभिन्न
मुद्रण विधियों से होते
हुए आज
२१ वीं सदी में
ऑफसेट और डिजिटल
प्रिंटिंग
तक पहुंच
गई है।
१९६४ तक, व्यावसायिक
उद्देश्य
से बनाए
गए प्रिंट
और छापा
कलाकारों
द्वारा कलात्मक डिजाइन को ‘ग्राफिक‘
शब्द के
तहत देखा
जाता था।
लेकिन इसके कारण
हम देख
सकते हैं
कि व्यावसायिक
और ललित
कला जगत
में भ्रम
का माहौल
पैदा हो
गया था।
इस भ्रम
को दूर
करने के
लिए, १९५४ में ‘‘द प्रिंट
काउंसिल ऑफ अमेरिका‘‘
ने व्यावसायिक
मुद्रण और छापा
चित्र बनाने वाले
ललित कला
कलाकारों
के बीच
अंतर करने
के लिए
दोनों प्रकार की मुद्रण
कला को
अलग-अलग नामों से
संबोधन गया । प्रारंभ
से ही
व्यावसायिक
दृष्टि से किए
गए मुद्राचित्र
को ग्राफिक
कला कहा
जाता था
और यह
नाम उसके
लिए आरक्षित
रखा गया,
लेकिन ललित कला
के अंतर्गत
कलात्मक दृष्टिकोण
से किए
गए मुद्राचित्र
को ‘प्रिंटमेकिंग‘
(छापाकला) नाम दिया
गया। Kumar (2000) इसके बाद,
दुनिया भर के कलाकारों ने प्रिंटमेकिंग
माध्यमों
के साथ
प्रयोग किए, वास्तव
में इस
वजह से
बहुत कला
रसिक इस
नए माध्यम
के तरफ
आकर्षित हुए। १९६० और १९७० के दशक
में, संयुक्त
राज्य अमेरिका में कलाकारों
ने एक बार
फिर समाचार
पत्रों, पत्रिकाओं,
सेलिब्रिटी
के तस्वीरों
सहित वाणिज्यिक
उत्पादों
और विज्ञापन
पृष्ठों का उपयोग
कल निर्मित
के लिए
किया। सूप के
डिब्बे, कोका-कोला की बोतलें।
एंडी अॅन्डी
वारहोल और रॉबर्ट
रोशनबग (Andy Warhol and Robert Rosenberg) जैसे कलाकार
स्क्रीन प्रिंटिंग
और अन्य
मीडिया का उपयोग
करके प्रिंट
बनाने में सबसे
आगे थे।
जिससे कलारसिकों
को छापाकला
का एक अलग
रूप देखने
को मिला।
यह वह
समय था
जिस समय
कलाकारों
ने छापा
चित्र को चित्रकला
और अन्य
कला रूपों
के साथ
जोड़ दिया
था। लेकिन
आज के
छापा कलाकार
एक कदम आगे बढ़कर
प्रिंटमेकिंग
माध्यम में काम
करते दिख
रहे हैं,
आज वास्तव
में प्रिंट
काउंसिल द्वारा प्रिंटमेकिंग
शब्द के
तहत निर्धारित
नियम धुंधले
होते नजर
आ रहे हैं।
छापा चित्रण
अब केवल
कागज पर
छापने और प्रतियां
निर्माण करने का
साधन नहीं
रह गया
है। लकड़ी
के फ्रेम
में संजोया
जानेवाला
कला का
एक रूप, इस संक्षिप्त
दायरे में छापा
चित्रोको
को बिठाना
संभवनहीं
हैं, बल्कि
वह अब
कलाकारों
द्वारा कलात्मक प्रयोग का एक स्वतंत्र
माध्यम बन गया
है। इस
प्रकार की छापाकला
को आम
जनता तक
पहुंचाने
के लिए
आज कला
जगत में
पेशेवर दृष्टिकोण
और कलात्मक
दृष्टिकोण
का संयोजन
देखा जा
रहा है।
डेमियन हस्र्ट, टिम हेड
और रेबेका
हॉर्न (Damien Hirst, Tim Head and
Rebecca Horn)जैसे विश्व-प्रसिद्ध
कलाकारों
ने जर्मनी
में रॉयल
अकादमी द्वारा आयोजित किए गए प्रदर्शनी
में एक बीयर कंपनी
के लिए
बीयर बोतल
लेबल अपनी
अपनी अलग-अलग
छापाचित्रण
माध्यमों
में छापा
चित्र तैयार की
और वह
प्रदर्शित
भी की।
उसी के
साथ वहां
पर मौजूद
प्रमुख अतिथि गणों
को वह
उपहार स्वरूप दी गई।
इससे न केवल कंपनी
को बढ़ावा
मिला बल्कि
कलारसिका
को छापाकला
इस अलग
मध्य के
बारे में
जानकारी मिली। Print Studio (2002) चित्र 1
चित्र 2
ऐसी ही एक प्रदर्शनी
कोरोना महामारी से पहले
६ अगस्त, २०१९
को कॉलेज
ऑफ आर्ट
एंड साइंस
अमेरिका में ‘प्रिंटमेकिंग
लिगेसी प्रोजेक्ट’
के तहत
आयोजित की गई थी, जिसमें
युवा छापा
कलाकार एप्रिल फ्लँडर्स, टॉम हेक,
कैरी लिगशेट,
वुवासन लियोन्स, डेनिस माकनेट,
माइकल मेन्याका, रिचर्ड पीटरसन, निकोल पियरटोनी,
स्टीव प्रिंस और संगमी
यू (April Flanders, Tom Hück, Carrie Lingscheit, Beauvais Lyons, Dennis McNett, Michael
Menchaca, Richard Peterson, Nicole
Pietrantoni, Steve A. Prince, Sangmi Yoo) इन दस
कलाकारो ने हमें
पारंपरिक
छापा माध्यमों
के साथ-साथ
नई तकनीकों
और सामग्रियों
का उपयोग
करते हुए
छापाकला के भविष्य
की एक झलक
दिखाने की कोशिश
की है। Goldman (2019) विलियम कंट्रीज (William Kentridge) एक
दक्षिण अफ्रीकी कलाकार हैं जिन्हें
दक्षिण अफ्रीका के पिकासो
के रूप
में जाना
जाता है।
क्योंकि वह अपनी
अभिव्यक्ति
के लिए
विभिन्न माध्यमों का उपयोग
करते हैं।
ऐसा एक उदाहरण जो छापाकला
के दायरे
को दर्शाता
हैं, वह
रोम में
तिबर नदी
के तट
पर ५५० मीटर लंबी
दीवार पर उनका
रिवर्स-स्टेंसिल
प्रिंट है,जिसमें उन्होंने रिवर्स-स्टेंसिल
तकनीक का उपयोग
करके रोम
के इतिहास
को दर्शाया
है। इसके
लिए उन्होंने
काले और
सफेद रंग
प्रयोग किया है।
Ida (2016) इसी तरह का
एक और उदाहरण
जिसमें छापा चित्र
बनाने के लिए
पारंपरिक
सतह का
उपयोग करने के
बजाय, जर्मन
कलाकार थॉमस क्लेपर
(Thomas Kilpper) को जब क्यूबा में एक कार्यशाला
में आमंत्रित
किया गया,
तो उन्होंने
एक थिएटर हॉल के
नीचे एक पूर्ण लकड़ी
के फर्श
को कलाकारों
के साथ
मिलकर कट कर दिया जिसमें
उन्होंने
क्यूबिस्ट
इतिहास को दर्शाया
था। इसके
लिए जो
रेखा चित्र
बनाना था उसके
लिए उन्होंने
प्रोजेक्टर
का उपयोग
किया। Antoqula (2011) चित्र 3
चित्र 4
ब्रिटिश कलाकार डेमियन हर्स्ट (Damien Hirst) उन अग्रणी
कलाकारों
में से
एक हैं जो पारंपरिक
और गैर-पारंपरिक
छापा माध्यमों
को मिलाकर
छापाचित्रण
कला को
एक ऊंचाई पर ले जाने का
श्रेय दिया जाता
है। वह
मृत्यु, पुनर्जन्म,
अमरता जैसे काल्पनिक
विषयों पर काम
करते हैं।
अब तक
उनकी फ्रीज,
नेचुरल हिस्ट्री, स्पिंन पेंटिंग, लव ऑफ गॉड जैसी
सीरीज कलार्सिका
का ध्यान
खींचने में कामयाब
रही हैं।
इसके साथ
ही उनकी
मुख्य रूप से
सिल्क स्क्रीन, एचिंग और
लिथोग्राफी,
मध्य का
उपयोग करके ‘स्पिंन
स्पॉट’ और ‘मेडिसिन
शॉप’ श्रृंखला
प्रमुख रूप से
उल्लेख करने जैसी
है। Weitman (2002) जिसमें आप छापाकला
माध्यम का अलग-अलग
उपयोग देख सकते
हैं। १९९९
में उन्होंने
दवाइयों को लेकर
छापाकला माध्यम में एक श्रृंखला
की है।
जिसमें उन्होंने दवाई के
बोतलों पर लेबल
बनाने के लिए
एक स्क्रीन
प्रिंट पद्धति का उपयोग
किया। इसी क्रम
में उन्होंने
विभिन्न छाप चित्रों
का उपयोग
करके एक बड़ी दवा
की दुकान
बनाई। उन्होंने स्क्रीन माध्यम में सौम्या
रंग संगती
का उपयोग
करके सिलेंडर
के आकार
का टैबलेट
बनाया। यह पूरी
श्रृंखला
मानव विज्ञान
और फार्मास्युटिकल
उद्योग के बीच
संबंधों की पड़ताल
करती है।
Delivery (2023) फिर उन्होंने
एचिंग माध्यम का उपयोग
करके ‘टूर-डी-फोर्स’
नामक एक श्रृंखला बनाई। २००२
के आसपास,
उन्होंने
‘स्पिन’ श्रृंखला के भीतर
प्रिंट के साथ-साथ
कई रंगों
का इस्तेमाल
करके छापा
चित्र भी बनाए।
इसके लिए
उन्होंने
एक गोलाकार
घूमने वाली मशीन
बनाई, उन्होंने
उस पर
निचेमे में एक तांबे
की प्लेट
रखी और
ऊपर के
बाजूमें एक
सुई जयसा
नुकीले अवजार लगाया,
फिर उन्होंने
घूमने वाली मशीन
को उस
पर कई
दिनों तक घुमाया,
प्लेट पर रखे
गए नुकीले
उपकरण के कारण,
उस प्लेटपर
उत्कीर्ण
छपा चित्र
जैसा प्रभाव
बन गया
था। Manchester (2009) उन्होंने बूंदों से भी कई छापा
चित्र बनाए। बूंदों
का उपयोग
करके उन्होंने
जो ‘स्पॉट’
नमक श्रृंखला
बनाई वह
उनकी प्रसिद्ध
श्रृंखला
में से
एक है। इसमें उन्होंने
एचिंग माध्यम का उपयोग
करके एक ही कागज
पर १६२ से अधिक
रंगीन टिपके बनाई
हैं। इसी
तरह, तितलियों
और मिकी
नाम से
बनाए गए छापा चित्र
भी प्रसिद्ध
है। Weitman (2002) सन झुन
Sun Xun (n.d.) एक और समकालीन
चीनी कलाकार
हैं जो
लकड़ी के
छापो के
माध्यम से अद्भुत
आविष्कार
करते हैं।
इसके लिए
वह त्रि-आयामी
तकनीकों की मदद
से छाप
चित्र बनाने के
लिए मल्टी-मीडिया
तकनीक का इस्तेमाल
करके एनीमेशन
बनाते है। इस
एनीमेटेड
छापा चित्र
से हम
सन जून
की एकाग्रता,
कड़ी मेहनत
और विज्ञान
और प्रौद्योगिकी
के उनके
अध्ययन को देख
सकते हैं।
सन जून
का जन्म
१९८० में फक्सिन चीन में
हुआ था।
और उन्होंने
हांग्जो में चाइना
एकेडमी ऑफ आर्ट
में प्रिंटमेकिंग
से कला
शिक्षा प्राप्त की थी।
Sun Xun (n.d.) इसके बाद उन्होंने
२००६ में ‘पाइ एनिमेशन
स्टूडियो‘
की स्थापना
की। जहां
कंप्यूटर
का उपयोग
करके एनीमेशन
फिल्मों पर काम
किया जाता
था। उन्होंने
विभिन्न प्रकार के चित्र
बनाने के लिए
इन दो
अलग-अलग कलात्मक पृष्ठभूमियों
का उपयोग
किया। उन्होंने पारंपरिक और समकालीन
छापाचित्रण
माध्यमों
को एक साथ
इस्तेमाल
किया। चित्र 5
जो वास्तव
में छापाकला
तकनीक में क्रांतिकारी
बदलाव लाने वाला
साबित हुआ। इसके
लिए वह
काली स्याही
से आकृतियां
और चित्र
बनाता है। उन्होंने
कुछ इंस्टॉलेशन
भी बनाए
हैं, लेकिन
उनका २०१६
मैं किया
गया ‘टाइम
स्पाई’ वुड ब्लॉक
एनीमेशन विशेष रूप
से उल्लेखनीय
है। इसमें
उन्होंने
चीनी इतिहास,राजनीति
और चीनी
परंपरा का सुंदर
संयोजन दिखाया है। जिसके
लिए चंद्रमा,
अखबार, पक्षी, बाघ,
चीन की
दीवार, आकाश जैसी
आकृतियों
का उपयोग
किया गया
है। सबसे
पहले उन्होंने
आवश्यकतानुसार
एक लकड़ी के ब्लॉक
पर चित्र
उकेरे लेकिन उत्कीर्णन
के बाद
उन्होंने
ब्लॉक से छापा
ना निकलते
हुए उस
ब्लॉक पर ही काला रंग
लगाया और सूखने
के बाद
स्कैनर की मदद
से उस
ब्लॉक को स्कैन
किया और
कंप्यूटर
की मदद
से अपनी
एनीमेशन मूवी बनाई।
लेकिन एक सेकंड का
वीडियो फ्रेम दिखाने
के लिए
उन्हें १८
तस्वीरें
बनानी पड़ीं और
इस पूरी
फिल्म के लिए
उन्हें १०
हजार लकड़ी
के ब्लॉक
बनाने पड़े। इस
एनीमेशन फिल्म के
बारे में
एक और दिलचस्प
बात यह
है कि
यह त्रि-आयामी
(3D) फॉर्मेट में बनी
है। इस
वजह से
दर्शक को लकड़ी
के ब्लॉक
छापाचित्र
की एक अलग
दुनिया का एहसास
होता है।
उन्होंने
इस एनीमेशन
को न केवल
कला दीर्घाओं
में प्रदर्शित
किया। चीन और
अन्य स्थानों
में, उन्होंने
इसे शाम
को सड़क
और चैक
पर वीडियो
विज्ञापन
के लिए
स्थापित बड़ी स्क्रीन
पर आम
जनता के
सामने प्रस्तुत किया, ताकि
आम लोग
भी छापाकला
का एक अलग
रूप देख
सकें, जिसके
परिणामस्वरूप
छापाकला पद्धति का अनोखी
ढंग से
प्रचार हुआ। Hannah (2018) डेनियल रोजिन एक इजराइली अमेरिकी कलाकार हैं। उन्होंने
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
का ऐसा
अद्भुत प्रयोग किया है
जो देखने
वालों को सुखद
एवं आश्चर्यजनक
अनुभूति कराता है।
हालाँकि उन्होंने ये सभी
कलाकृतियाँ
अपरंपरागत
छापा चित्र
के विचार
से नहीं
बनाईं, संभवतः उनके प्रतिपादनों
में छापा
चित्र की भविष्य
की संभावनाएँ
देखी जा
सकती हैं।
डेनियन रोजिल (Daniel Rozin) का जन्म
१९६१ में येरुशलम, इजराइल में हुआ
था। उन्होंने
यरूशलेम में बेजाली
अकादमी में औद्योगिक
डिजाइन का अध्ययन
किया। फिलहाल वह न्यूयॉर्क
में रह
रहे हैं
और अपन
कला कार्य
कर रहे
हैं। वह
असल में
सुर्खियों
में आ गये
उनकी १९९९
की श्रृंखला
‘यांत्रिकी
मिरल‘ की
वजह से
जिसमें उन्होंने ऐसे यांत्रिक
कैनवास का उपयोग
किया था
जो दर्शकों
को अपने
में समाहित
कर लेता
है। यानी
वह कंप्यूटर,
घूमने वाली मोटर,
वीडियो कैमरा, सेंसर,
इलेक्ट्रॉनिक
चिप्स की मदद
से मूविंग
पिक्सल (क्यूबिक ब्लॉक) के
साथ एक कैनवास बनाता है,
जिसके लिए वह
कभी लकड़ी,
धातु की
चादरें, दर्पण और
कभी पेंगुइन
या अन्य
वस्तुओं का उपयोग
करता है।
कैनवास के सामने
खड़े व्यक्ति
या वस्तु
का सटीक
प्रतिबिम्ब
(इंप्रेशन)
वहां बनता
है। जैसे
हमारे शरीर की
छाया बनती
है कुछ-कुछ
उसी की
तरह। इसके
लिए वह
कंप्यूटर
प्रोग्राम
का इस्तेमाल
करते हैं।
इसके बारे
में एक अनोखी बात
यह है
कि, वह
इनमें से ज्यादातर
काम खुद
ही करता
है। Israeli (1961), NYU (2019) कला का एक ऐसा
ही नमूना
हाल ही
में फरवरी
२०२३ के दिल्ली आयोजित इंडियन आर्ट फेयर
में भारतीय
ब्रिटिश कलाकार अनीश कपूर
(Anish Kapoor) द्वारा प्रस्तुत किया गया
था जिसमें
उन्होंने
विभिन्न आकृतियों में अपने
प्रतिबिंब
को देखने
की अवधारणा
के साथ
एक गोलाकार
स्टील दर्पण स्थापित
किया था।
Today (2023) अब तक हमने कई
कलाकारों
को लकड़ी
या अन्य
सतह को
काटकर छाप चित्र
बनाने के लिए
सतह तैयार
करते देखा
है। लेकिन
ब्रायन डैटमर (Brian Dettmer) एक
ऐसे अमेरिकी
कलाकार है। जो
पुरानी मोटी किताबों
को काटकर
एक प्रकार
का कलात्मक
ब्लॉक बनाता है,
हालाँकि वह इस प्रकार बने ब्लॉकों
से छापा
नहीं निकलते
है, लेकिन
वह पुस्तक
को अलग-अलग
परतों में काटते
है, उनका
यह ब्लॉक
चित्र छापाकला माध्यम के विस्तार
की संभावनाओं
का एहसास
कराते हैं। चित्र 6
चित्र 7
आज दुनिया
भर में
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
क्षेत्रों
में विभिन्न
खोजें हो रही
है। जिनका
उपयोग वैद्यकीय, रक्षा, वाणिज्य
और कलात्मक
क्षेत्रों
में हो
रहा है।
फिर वह
‘टेस्ट ट्यूब बेबी’
(IVF) जैसे वैद्यकीय क्षेत्र में चमत्कार
समजे जानेवाले
तकनीक का उपयोग
करके एक नए जीव
का निर्माण
हो, या
एक ही जीव
के कई
क्लोन बनाने का
विज्ञान हो। या
फिर फेस
डिटेक्टर
सेंसर की मदद
से दरवाजा
या मोबाइल
का ताला
खोलने की तकनीक
हो। आज
सरकारी या निजी
दफ्तरों में निगरानी
के लिए
बायोमेट्रिक्स
तकनीक का इस्तेमाल
बड़ी संख्या
में किया
जाता है।
दूसरी ओर, त्रि-आयामी
(3D) स्कैनिंग और त्रि-आयामी
प्रिंट तकनीकों का उपयोग
आज विभिन्न
क्षेत्रों
में किया
जा रहा
है। छापाकला
जगत के
अब तक
के अध्ययन
से एक बात
निश्चित रूप से
देखने को मिलती
है कि
हर बार
कलाकार ने अपनी
सर्जनात्मक
कला को
प्रस्तुत
करने के
लिए उस
दौरान विकसित तकनीक का
ही उपयोग
किया है।
छापाकला भी इससे
भिन्न नहीं है।
इसका उदाहरण
आज भी
छापाकला के क्षेत्र
में देखे
जा सकता
है। 3D प्रिंटिंग
का उपयोग
आज न केवल
व्यावसायिक
या एनीमेशन
में उपयोग
की जाने
वाली तकनीक
के रूप
में किया
जाता है,
बल्कि ओलिवर लेरिक
(Oliver Laric) जैसे युवा
कलाकार छापाकला की पारंपरिक
भाषा को
बदलने की कोशिश
में व्यस्त
हैं। उन्होंने
प्रिंटमेकिंग
शब्द के
तहत विभिन्न
माध्यमों
में त्रि-आयामी
वस्तुओं और मूर्तियों
(आकृतियों)
को बनाने
के लिए
इस तकनीक
का उपयोग
किया। जिसे उन्होंने
आधुनिक छापे की
संज्ञा दी। इसकी
शुरुआत २०१४
में उनकी
प्रदर्शनी
से देखी
जा सकती
है. इसमें
उन्होंने
त्रि-आयामी
स्कैनिंग
और प्रिंटिंग
की मदद
से बर्गेन
के कोड
कला संग्रहालय
में चीनी
संगमरमर स्तंभ युआन
मिंग युआन
का एक लघु
संस्करण प्रदर्शित
किया। इस संदर्भ
में, दुनिया
भर में
ऐसे कई
उदाहरण दिखाई दे
रहे है
जहां पर
छापाकला माध्यमों में प्रयोग
किए जा
रहे है। Pettersdon (2017) चित्र 8
3.
निष्कर्ष आज पूरे
विश्व में छापाकला
को व्यावसायिक
छापा, पारंपरिक
छापा और
गैर-पारंपरिक
छापा की
बंधनों से मुक्त
करके छापाकला
को रचनात्मकता
की अभिव्यक्ति
के साधन
के रूप
में देखा
जा रहा
है। छापा
कलाकार किसी भी
प्रतिबंध
से बंधे
बिना विभिन्न
माध्यमों
और सतहों
पर छापाकला
के क्षेत्र
में प्रयोग
कर रहा
है। इसलिए,
कला जगत
के साथ-साथ
कला प्रेमियों
को भी
इस क्षेत्र
में कुछ
नया देखने
को मिल
रहा है,
इस वजह
से कलाकार
भी छापाकला
माध्यम की ओर ध्यान केंद्रित
कर रहे
हैं। दुनिया
भर के
विभिन्न क्षेत्रों
में हो
रहे अविष्कारों
के आधार
पर छापा
जगत में
भी प्रयोग
हो रहे
हैं। छापा
कलाकार नए माध्यमों
की तलाश
में जी
जान से
जुटे हुए
हैं। क्योंकि
शायद इसी
में छापाकला
की भविष्य
की संभावनाएँ
छिपी हैं।
आज दुनिया
भर में
प्रिंटमेकिंग
क्षेत्र से जुड़े
हुए कलाकारों
के लिए
‘‘द प्रिंट काउंसिल ऑफ अमेरिका‘‘
द्वारा निर्धारित
नियमों पर पुनर्विचार
करने की
आवश्यकता
आन पड़ी
है, ऐसा
प्रतीत होता है।
CONFLICT OF INTERESTSNone. ACKNOWLEDGMENTSNone. REFERENCESAnny, S. (2020, January 14). Damien Hirst Medicine Cabinet Bought for £600 Goes on Sale for over £1m. Antoqula, M. (2011). Retrieved From Museo De Antioquia. Delivery, P. (2023, July 30). Damien Hirst's Spot Paintings - Trivial or Inspiring? You Decide. Retrieved From Public Delivery. Goldman, J. (2019). Forward Press: 21st Century Printmaking. Retrieved From American University. Hannah, K. (2018). Saint Louis Artmuseum. Sun Xun: Time Spy. Retrieved From Hec Happening Now. Ida, P. (2016, April 21). William Kentridge Discusses his Project Along the Banks of the Tiber River. Retrieved From Artforum. Israeli, b. (1961). Daniel Rozin. Retrieved From Artsy Net. Julia, F. (2015, August 31). William Kentridge Plans Massive, Vanishing Mural in Rome. Retrieved From Hyperallergic. Kumar, S. (2000). Indian Impression Painting from Ancient Times to Modern Times (Bhartiya Chap Chitrakala Aadi Se Aadhunik Kal Tak). Delhi : Bharatiya Kala Prakashan. Lori, Z. (2011, Feb 17). Artist Brian Dettmer Carves Old Books into Intricate Narrative Sculptures. Retrieved From Mharitat. Manchester, E. (2009, September). Spin Me Right Round. Retrieved From Tata. NYU (2019). How This Guy Makes Amazing Mechanical Mirrors. Retrieved From Wlrds. Pettersdon, E. J. (2017). Printmaking in the Expanded Field. National Academy of the Arts. Print Studio, L. (2002). Printmaking in the 21st Century. Retrieved from Victoria and Albert Museum. Today, I. (2023, Feb 11). India Art Fair 2023, with 85 Exhibitors and 71 Galleries. Weitman, W. (2002). In a Spin, the Action of the World on Things, Retrieved From the Museum of Modern Art, New York : The Museum of Modern Art.
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