रंगों के प्रति मानव का अनुराग आज से नहीं बल्कि सदियों से रहा है। रंग प्रकृति एवं ईष्वर की सबसे बहुमूल्य देन है। रंग के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रकृति द्वारा रचित अनगिनत वस्तुओं के विविध रंग प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। इन्हें देखकर मनुष्य ने उसे चित्रकलाओं, मूर्तिकलाओं, नाट्य एवं साहित्य में उकेरा है। रंगों से हमें निरन्तर ऊर्जा एवं चैतन्य शक्ति प्राप्त होती है, निष्चित ही रंगविहीन जीवन नीरस, उदासीन एवं एकसार होता है। मनुष्य स्वभाव से सुन्दरता प्रेमी है। अतः रंगों से उसका घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। पहले प्रकृति से फिर धीरे-धीरे वैज्ञानिक अनुभवों से उसने विभिन्न रंगों का सृजन करना सीख लिया है और अपने जीवन को रंगों से सरोवार कर लिया।
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