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प्रकृति एवं रंग ;पर्यावरण के संदर्भ मेंद्ध

मानव जीवन और प्रकृति का संबध पृथ्वी की रचना के साथ अटूट रहा है, मानव ने प्रकृति से प्राप्त सभी चीजों का उपभोग अपने जीवनयापन और मनोरंजन के लिये किया है, एक ओर उसे प्रकृति से भोजन, आवास और वस्त्र प्राप्त होता है तो दूसरी ओर प्रकृति के दृश्यों को देखकर और कलाकारों के द्वारा चित्रित कर शान्ति की अदभूत अनुभूति होती है। सर्वप्रथम कलाकारों द्वारा जो चित्र चित्रित किये गये उनमें प्रकृति चित्रण नदी, पेड़, पौधे, पर्वत और पशु पक्षी सभी चित्रित किये गये तथा इन्हें चित्रित करने में सहायक सामग्री रंग, तुलिका वह भी प्रकृति से प्राप्त होती है। सर्वप्रथम कलाकारों ने प्रकृति से प्राप्त रंगों का उपयोग अपनी कलाकृति में किया। आदिवासी लोक कला में माण्डना, फड़, अल्पना, मधुबनी आदि में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया है। ये रंग कभी कभी पत्थरों , फूलों तथा पत्त्यिों से बनाए जाते है। प्रकृतिमें जिन रूपों की ओर हम आकर्षित होते है तथा जो हमें आनन्द प्रदान करते है, उनकी प्रतिकृति मात्र कला नहीं है उन रूपों का आधार लेकर उनसे प्रभावित होकर तथा उनका रूपांतरण करके कलाकृतियों का निर्माण होता रहा है।‘प्रकृति में अनेक ऐसी आकृतियांे को देखकर हम आनन्दित होते है जिनका कोई अर्थ नहीं होता है। केवल उनकी चाक्षुष आकृति अपनी छाप छोड़ती है। किन्तु चित्र में किसी रूप में सादृश्य की तथा अर्थ की इच्छा बनी रहती है। झरने, नदी, समुद्र में मोटे तने के काठ में रेखाओं की आवृत्ति आकर्षित करती है।‘
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Creator
Publisher
Classification
Date Issued 2014-12-31
Resource Type
Format
Language
Date Of Record Creation 2021-04-07 03:40:41
Date Of Record Release 2021-04-07 03:40:41
Date Last Modified 2021-04-08 08:16:48

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