अर्थात् विभिन्न कलाओं की दृष्टि, अभिनय अंगोपाग आदि मिलकर एक परमचित्र का निर्माण करते हैं। क्योंकि सभी कलाओं में संगीत ही सबसे अधिक सूक्ष्म एवं भावप्रधान विशेषताओं से अंलकृत हैं। जैसे स्वर के गुण अथवा वाद्य यंत्रो को इस प्रकार बजाना कि अनुपात, संतुलन समरसता आलाप, तान लय ताल की दृष्टि से किसी राग-रागिनी का बारीक स्वर संयोजन और सुरीलापन ठीक प्रबलता, मात्रा और वैविध्य के साथ अभिव्यक्त हो जाये।साथ ही अपने ओज माधुर्य सौन्दर्य तथा सजीवता के कारण चित्रकला को विशेष शोभामय तथा अन्य कलाओ की तुलना में श्रेष्ठ मानकर लिखा गया है
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