Skip Navigation
Granthaalayah: Open Access Research Database
A Knowledge Repository
By Granthaalayah Publications and Printers
Home Browse Resources Get Recommendations Forums About Help Advanced Search

रंगों की बढती कीमतों का तैलचित्र व्यवसाय पर प्रभाव - एक अध्ययन

संसार के समस्त प्राणियों मे केवल मानव एक ऐसा प्राणी है जो सोन्दर्य की अनुभूति करता है। मानव सभ्यता मे कला की उत्पत्ति मानव मन मे सोन्दर्य के प्रति जिज्ञासा के कारण हुई है। इसके माध्यम से मनुष्य अपने भाव, मन की अनुभूति व्यक्त करके आन्नद महसूस करता है अर्थात उसकी सृतनात्म प्रवृति की अभिव्यक्तिी कला के माध्यम से करता है। इसमें चित्र,मूर्ति अभिनय,गायन,वादन एवं हात्तकोथत शामिल है। इसका उद्देश न केवल सृजन करना है बल्कि यह संस्कृति की परम्परा को बनाये रखने मे भी सहायक होता है, जो जनकल्याण के लिए उपयोगी है। कला को सामान्यतः दो वर्गो मे बाटाॅं जाता है- ललितकला एवं व्यवसायिक कला ललितकला का मुख्य उद्देश्य स्वतः सूखाय होता है जो मन को आन्नद देता है दुसरी और व्यवसायिक कला एक ऐसा कार्य है जिससे किसी की जिविका का निर्वाह होता समाज की आवश्यकताको की पूर्ति करने मे व्यवसायिक कला का निरन्तर योगदान रहा है। एक उत्पादक इसी बात को ध्यान मे रखकर अपना उत्पादन करता है। और उस उत्पादन को सर्व. उपयोगी एवं लाभप्रद बनाने के लिए समय के अनुसार उसमे रगो के माध्यम से परिवर्तन करता है।
इन्टिरियर डिजाइनिंग और चित्रकारिता आज एक प्रमुख लाभप्रद व्यवसाय का रूप ले चुकी है। आन्तरिक सज्जा मे तैलचित्रो का अधिक प्रयोग कर इसकी ख्याति को जन जन तक पहुचॅंा दिया है। प्राचीनकाल मे राजा-महाराज एवं धनी व्यक्ति अपनी गृहसज्जा मे तैलचित्रो का प्रयोग बढे पैमाने पर करते थे। आमजनता कच्ची दीवारों पर जमीन पर कच्चे रंगो से चित्रकारी करते थे लेकिन आजकल इन्टिरियर डिजाइनों मे अच्छे किस्म के रंगो का प्रयोग गृहसज्जा मे करके इस व्यवसाय मे नये आयाम खोल दिए है जो व्यक्तियों की आय व रोजगार का साधन बन रहा है। इस व्यवसाय मे भावों को ध्यान मे रखकर रंगो के प्रयोग से वस्तुओं की सुन्दरता और विविधता को बढा देते है।
?  Cumulative Rating: (not yet rated)
Creator
Publisher
Classification
Date Issued 2014-12-31
Resource Type
Format
Language
Date Of Record Creation 2021-04-06 06:11:33
Date Of Record Release 2021-04-06 06:11:33
Date Last Modified 2021-04-08 08:21:15

Resource Comments

(no comments available yet for this resource)