Post Modernism in India is believed to have evolved after Indian Independence in 1947 and continues till the early 20’s. When we talk about Post Modernism in context to India, it is often connected to the country’s modernization and decolonization. After the Indian independence, advertising developed with the development of forms of media at each decade. Since the beginning, colours have stirred...
Colours are, perhaps, as old as the universe is; might be older than that. But, for sure, colours are older than arts and are related to every aspect of human life. A colour gets its identity from the rays it generates. In other words, colours are composed of radiations. Thus, when it is about colours, it is more about science than it is about arts. And science cannot be regional or time-bound; it...
कला और सौन्दर्य-ये दो शब्द कला जगत में एक जैसे होते हुए भी बहुत विस्तृत हैं। स्थूल तैार पर हम कला और सौन्दर्य में कोई अन्तर नहीं कर पाते। सौन्दर्य एक मानसिक अवस्था है और वह देश-काल से मर्यादित है। इस सौन्दर्य रूपी वृक्ष की दो शाखायें हैं-एक प्रकृति तथा दूसरी कला। कलागत सौन्दर्य पर दो दृष्टियों से विचार किया जा सकता है। पहली दृष्टि यह है जिसमें हम कलाकार को केन्द्र में रखकर विचार करते हैं अर्थात्...
वात्सायन मुनि के कामसूत्र (2 ई-3 ई शताब्दी ई0) नामक ग्रन्थ में तीसरे अध्याय के अन्तर्गत चैसठ कलाओं का विवेचन किया गया है। जिनमें प्रथम स्थान पर गीतं (संगीत) द्वितीय स्थान पर बाद्यं (वाद्य- वादन), तृतीय स्थान पर नृत्यं (नाच) तथा चतुर्थ स्थान पर आलेख्यं अर्थात ‘चित्रकला’ को माना है। ‘कामसूत्र के प्रथम प्राधिकरण के तीसरे अध्याय की ‘जयमंगला’ नामक टीका (11-12वी शताब्दी) पण्डित यशोधर द्वारा प्रस्तुत की...
मानव जीवन का उद्देश्य क्रियाशीलता अथवा निर्माण में निहित है। इससे रहित जीवन शून्य से अधिक नहीं होता। एक कलाकृति में मानव अपने अनुभवों को निश्चित चित्र तत्वों एवं सौन्दर्य सिद्धान्तों के आधार पर ही अभिव्यक्ति करता है। इस रूप सजृन की प्रक्रिया को कला की संज्ञा प्रदान की जाती है। हृदय अनुभूति के परिणाम स्वरूप ही कला की भाषा भावों से परिपूर्ण है।
भाव का अर्थ होता है, भावना, उद्वेग, आवेग, संवेग,...